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जब गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई ने दोस्त को कहा, अबे सा….

खड़गपुर : दुनिया की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई गुरुवार को आइआइटी, खड़गपुर पहुंचे, तो भावुक हो गये. करीब 23 साल बाद वह कैंपस में थे, जहां से 1993 में उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. उस कमरे में भी गये, जहां वह छात्र जीवन में रहा करते थे. उन्होंने संस्थान […]

खड़गपुर : दुनिया की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई गुरुवार को आइआइटी, खड़गपुर पहुंचे, तो भावुक हो गये. करीब 23 साल बाद वह कैंपस में थे, जहां से 1993 में उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. उस कमरे में भी गये, जहां वह छात्र जीवन में रहा करते थे. उन्होंने संस्थान के छात्रों को मंत्र दिया – कुछ अलग करने की कोशिश कीजिए, जोखिम लीजिए. हर हुनर को सीखें और अपने जुनून को मानें. कैंपस में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने अनुभव भी साझा किये. बोले- यहां एडमिशन लेना आसान नहीं था. यह बेहद मेहनत का काम था. उनसे किसी ने पूछा- क्या क्लास भी बंक करते थे? पिचाई ने कहा- बेशक. हम देर रात तक जागते थे और सुबह क्लास से गायब रहा करते थे. यह कॉलेज में सही लगता है. लेकिन मैंने मेहनत भी की.

दोस्त को कहा, अबे साले : पिचाई ने कहा, मैं चेन्नई से आया था. हिंदी कमजोर थी. एक बार तो बुरी तरह फंसा. मैस में ही एक दोस्त को ‘अबे साले’ कह कर आवाज दी, क्योंकि मुझे लगता था कि यह हिंदी में किसी के अभिवादन का तरीका है.

पहला कंप्यूटर यहीं देखा : पिचाई ने कहा कि मैंने अपने जीवन में पहला कंप्यूटर यहीं देखा. मुझे पूरा विश्वास है कि आपके आज के अनुभवों से ज्यादा अलग नहीं होंगे. मेरी यहां से जुड़ी कई अच्छी यादें है. मैं अपनी पत्नी अंजलि से यहीं पर मिला. मैं नारायण मूर्ति व सचिन तेंडुलकर का प्रशसंक हूं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा के मामले में ऊंचा लक्ष्य रखते हैं. मैं भी युवाओं को रचनात्मकता पर फोकस करते हुए देखना चाहता हूं और चाहता हूं कि वे जोखिम लें. जिंदगी में कभी असफल होने का मतलब यह नहीं होता कि आपके लिए कामयाबी के सारे रास्ते बंद हो गये हैं, बल्कि इससे आपको और ज्यादा महत्वाकांक्षी बनने में मदद मिलती है. अगर आप यह सोचते हैं कि दुनिया में आज जो भी सफल लोग हैं, उनको असफलता हाथ नहीं लगी है, तो आप गलत हैं. सफल लोग भी असफल होते हैं.

फोकस : भारत में अधिकाधिक भाषाओं में काम : पिचाई ने कहा कि भारत में फोकस रहेगा कि जितनी ज्यादा संभव हो, उतनी भाषाओं में गूगल काम करे. हमारे पास बहुत अच्छी लीडरशिप टीम है. हम टीम वर्क को महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में क्षमता है. पूरी तरह से अपनी क्षमता का अहसास होने में कुछ साल लगेंगे. भारत में जिस तरह से प्रगति हो रही है, खासकर डिजिटली, वह अद्भुत है.

हैरानी : आइआइटी के छात्र और आइआइएम की तैयारी ? : पिचाई ने इस बात पर हैरानी जतायी कि आइआइटी में पढ़ाई कर रहे युवा आइआइएम में दाखिले की तैयारी में लगे होते हैं. उन्होंने छात्रों से कहा कि (भारत में) आपके पूरे करियर के दौरान कुछ तय नियमों का पालन करने का खासा दबाव होता है. जब आप हाई स्कूल में होते हैं, तो आप कॉलेज के बारे में सोचते हैं. यह सुन कर काफी अचंभा हुआ कि आठवीं क्लास में पढ़नेवाले कुछ छात्र आइआइटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू कर चुके हैं.

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