कैबिनेट ने दी वोडाफोन के 10,141 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी
कोयला कीमत नीति की समीक्षा हो
संसद की एक समिति ने सरकार से कोयला कीमत नीति प्रणाली की समीक्षा करने को कहा. समिति का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं के हित की लागत पर मुख्य रूप से निजी बिजली कंपनियां लाभ में हैं. करीब दो महीने पहले ही सरकार ने बिजली कंपनियों को आयातित कोयले की लागत उपभोक्ताओं पर टालने की अनुमति दी.
इस कदम से बिजली दरों में वृद्धि हो सकती है. कोयला और इस्पात पर कल्याण बनर्जी की अध्यक्षतावाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘सरकार के इस निर्णय से (उपभोक्ताओं पर भार टालने की प्रणाली को मंजूरी) बिजली दरों में और वृद्धि होने की आशंका है.’ रिपोर्ट गुरुवार को संसद में पेश की गयी.
खदानों के आवंटन पारदर्शिता नहीं
समिति ने कहा कि 1993 से 2010 के दौरान कोयला खानों का आवंटन बेहतद गैर पारदर्शी तरीके से किया गया और यही नहीं स्क्रीनिंग समिति की समूची प्रक्रिया कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने पर केंद्रित रही. इसमें कंपनियों के पुराने रिकार्ड पर ध्यान नहीं दिया गया और साथ ही यह भी नहीं देखा गया कि इन कोयला ब्लाकों के लिए अंतिम उपयोग के लिए उनकी तैयारियां कैसी हैं. ज्यादातर आवंटित कोयला ब्लाकों का विकास 13 से 15 साल बाद भी नहीं किया जा सका.
नयी दिल्ली : मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को उसकी भारतीय इकाई में अल्पांश शेयरधारकों की हिस्सेदारी खरीदने के लिए 10,141 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की मंजूरी दे दी. यह देश के दूरसंचार क्षेत्र में सबसे बड़ा एकल विदेशी निवेश होगा. इसके बाद वोडाफोन इंडिया देश की पहली दूरसंचार ऑपरेटर हो जायेगी जिसका पूर्ण स्वामित्व विदेशी कंपनी के पास होगा.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीइए) की बैठक के बाद एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया, ‘वोडाफोन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी है.’ विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) ने 30 दिसंबर, 2013 को वोडाफोन को अपनी अनुषंगी के माध्यम से भारतीय इकाई में हिस्सेदारी को मौजूदा 64.38 प्रतिशत से बढ़ा कर 100 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. चूंकि यह प्रस्ताव 1,200 करोड़ रुपये से अधिक का है इसलिए इसे मंत्रिमंडल के पास भेजा गया. सरकार ने पिछले साल दूरसंचार क्षेत्र में शत प्रतिशत एफडीआइ की अनुमति दी थी.
उपभोक्ता के हिसाब से देश की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी की 10.97 प्रतिशत हिस्सेदारी पिरामल के पास है, वहीं वोडाफोन इंडिया के गैर कार्यकारी चेयरमैन के पास 24.65} हिस्सेदारी है. प्रस्ताव के तहत वोडाफोन समूह अनलजीत सिंह को 1,241 करोड़ रुपये व पिरामल इंटरप्राइजेज को 8,900 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा.
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