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गरीबी रेखा को नये सिरे से परिभाषित करने के लिए केंद्र जल्द बनायेगा नया पैनल
नयी दिल्ली : केंद्र की भारतीय जनता पार्टी आने वाले दिनों में गरीबी की नयी परिभाषा देगी. नीति आयोग गरीबी रेखा तय करने के लिए एक पैनल का जल्द गठन करने वाला है. इस पैनल की रिपोर्ट के आधार पर गरीबी विरोधी योजनाओं, जनकल्याण की योजनाओं व गरीबी उन्मूलन योजनाएं तय की जायेगी. यह पैनल […]
नयी दिल्ली : केंद्र की भारतीय जनता पार्टी आने वाले दिनों में गरीबी की नयी परिभाषा देगी. नीति आयोग गरीबी रेखा तय करने के लिए एक पैनल का जल्द गठन करने वाला है. इस पैनल की रिपोर्ट के आधार पर गरीबी विरोधी योजनाओं, जनकल्याण की योजनाओं व गरीबी उन्मूलन योजनाएं तय की जायेगी. यह पैनल सरकार को वैसे उपाय सुझायेगी जिससे अगले 15 साल में देश से गरीबी को खत्म किया जा सके. अगले कुछ दिनों में पैनल का गठन कर लिया जायेगा, जो कुछ महीनों में अपनी रिपोर्ट दे देगा. इस पैनल में विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि यूपीए के शासनकाल में गरीबी तय करने वाले पैनल की रिपोर्टों व सिफारिशों पर बड़ा बवाल हुआ था. इसी कारण नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद यूपीए काल में ही गठित सी रंगराजन पैनल की सिफारिशाें को लागू नहीं किया था. इस पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गांव में प्रतिदिन 32 रुपये या उससे ज्यादा कमाने वाले गरीबी रेखा से ऊपर माने जायें, जबकि शहरों में प्रतिदिन 47 रुपये या इससे अधिक आय वाले व्यक्ति को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाये.
नीति आयोग के सूत्रों के मुताबिक, गरीबी रेखा तय करने के लिए गठित होने वाला नया पैनल गरीबों को तार्किक आधार पर चिह्नित करेगा और उसके अनुरूप संसाधनों का आवंटन किया जायेगा. यह ऐसा पैनल होगा, जो गरीब व जीवन स्तर से जुड़े सभी बिंदुओं पर विचार करेगा.
नीति आयोग के सूत्रों के अनुसार, सरकार की इस कवायद का उद्देश्य देश से गरीबी खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाना है. यूपीए कार्यकाल में गरीबी रेखा की आयी अलग-अलग परिभाषाएं मीडिया की सुर्खियां बनीं थी और उस पर काफी हल्ला हुआ था. 2011-12 में आयी सुरेश तेंदुलकर पैनल ने गरीबी रेखा की ऐसी परिभाषा दी थी, जिसका काफी विरोध हुआ था. इस पैनल ने कहा था कि गांवों में 27 रुपये या अधिक प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति आय वाले आदमी को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाना चाहिए, जबकि शहरों में 33 रुपये या अधिक प्रति व्यक्ति प्रति दिन आय वालों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाना चाहिए.
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