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कांग्रेस की हार से बढ़ सकता है राजकोषीय घाटा

नयी दिल्ली : वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने आज इस बात की आशंका जताई है कि पांच में से चार राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, क्योंकि सरकार पर ऐसे में खर्चों में कटौती नहीं करने का दबाव बढ़ सकता है. एजेंसी ने कहा है ‘‘राज्य विधानसभा चुनावों […]

नयी दिल्ली : वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने आज इस बात की आशंका जताई है कि पांच में से चार राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, क्योंकि सरकार पर ऐसे में खर्चों में कटौती नहीं करने का दबाव बढ़ सकता है.

एजेंसी ने कहा है ‘‘राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को लगे झटके से सरकार पर राजकोषीय घाटे के मामले में राजनीतिक दबाव बढ़ने की संभावनायें और बढ़ जायेंगी.’’इसमें कहा गया है कि सरकार ने राजकोषीय घाटे की स्थिति को मजबूत बनाये रखने के मामले में मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की है. ‘‘सरकार की इस प्रतिबद्धता की आगे और परीक्षा हो सकती है, क्योंकि घाटे में कमी लाने का लक्ष्य पहले ही दबाव में आ चुका है और आने वाले महीनों में ज्यादा वोट अपनी तरफ खींचने के लिये सरकार के खर्चों में कटौती करने कोशिशें ढीली पड़ सकती हैं.’’

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के समक्ष 4.8 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है. सरकार का चालू खाते का घाटा पहले ही वर्ष के सात महीनों में ही उसके सालाना लक्ष्य का 84 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, हालांकि, इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 72 प्रतिशत तक रहा था. रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत की सावरेन रेटिंग के मामले में सार्वजनिक वित्त की स्थिति उसका महत्वपूर्ण हिस्सा है.

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