वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज कहा कि भारत को आने वाले वर्षों में बाह्य और वित्तीय स्थिरता के सहयोग के लिए आगे नीतिगत कदम उठाने की जरुरत है तथा उसे राजस्व वाले कदमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपनी मजबूत प्रगति को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त ढांचागत सुधार को अपनाना चाहिए. अनुकूल नीतियों और 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बढी हुई राजनीतिक स्थिरता से भारत की आर्थिक गतिविधि के मजबूत होने का उल्लेख करते हुए आईएमएफ ने कहा, ‘2013 से खर्च में कमी के कारण वित्तीय घाटे में कुछ सुधार हुआ है तथा मौजूद राजकोषीय घाटा उम्मीद से ज्यादा कम हुआ है.’
आईएमएफ ने अपनी ताजा ‘स्टाफ सस्टेनबिलिटी असेसमेंट्स फॉर जी-20 म्युचुअल असेसमेंट प्रॉसेस’ में इस सुधार का श्रेय कमजोर निजी निवेश से संबंधित आयात के कम होने तथा सोने के निर्यात में कमी को दिया है. उसने कहा कि हाल के दिनों में आर्थिक गतिविधि बढी है तथा अनुकूल नीतियों एवं साल 2014 के चुनाव के बाद बढी राजनीतिक स्थिरता के कारण भी कारोबार और उपभोक्ता दोनों का विश्वास बढा है. चीन के संदर्भ में आईएमएफ ने कहा कि दुनिया की दूसरी बडी अर्थव्यवस्था में बदलाव चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह जरुरी है.
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