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अमेरिका की ब्याज दर वृद्धि से निपटने को तैयार है भारत : वित्त मंत्रालय

नयी दिल्ली : सरकार और रिजर्व बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस सप्ताह ब्याज दर में किये जाने वाले फेर-बदल से पैदा होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. यह बात आज वित्त मंत्रालय ने कही. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने यहां इक्रियर के समारोह में कहा ‘सरकार और […]

नयी दिल्ली : सरकार और रिजर्व बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस सप्ताह ब्याज दर में किये जाने वाले फेर-बदल से पैदा होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. यह बात आज वित्त मंत्रालय ने कही. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने यहां इक्रियर के समारोह में कहा ‘सरकार और आरबीआइ. हम जरुरत के मुताबिक हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. मुझे भरोसा है कि हम इससे निपटने में कामयाब होंगे.’ वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या सरकार 17 सितंबर को अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में बढोतरी की आशंका से पैदा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.

दास ने कहा ‘अमेरिका में नीतिगत पहल की आशंका पिछले दो साल से है और हमें यह पता है कि किसी समय यह होना है. इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो अचानक हमारे सामने आ रहा है.’ उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने रोजगार के आंकडों के कारण ब्याज दर बढोतरी का फैसला टालता रहा है लेकिन आज ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका में रोजगार के आंकडे बेहतर हो रहे हैं. दास ने कहा कि अमेरिकी सरकार सोच-विचारकर पूरी सतर्कता के साथ कदम उठाएगी ताकि इसका दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर असर नहीं हो.

अमेरिका द्वारा ब्याज दर में बढोतरी से भारत समेत उभरते बाजारों से पूंजी निकासी की आशंका है. दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था चीन की धीमी आर्थिक वृद्धि और विनिमय दर में उतार-चढाव एवं अमेरिका में ब्याज दर में बढोतरी की आशंका में अनश्चितता का सामना कर रही है. दास ने कहा ‘अमेरिका, शायद अपनी मौद्रिक नीति को उदार बनाने की स्थिति से वापस लौटेगा. काफी समय से वह यह कर रहे थे और संभवत: दरों में बढोतरी हो सकती है. हमें पता नहीं है. हमें इंतजार करना है. हमें 17 सितंबर को होने वाली घोषणा का इंतजार करना है.’

उन्होंने कहा कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर सुकून देने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत को बेहद स्थिर अर्थव्यवस्था के तौर पर देखा जा रहा है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था का आकर्षक केंद्र है. उन्होंने कहा ‘यह इससे भी जाहिर होता है कि शेयर बाजार में उतार-चढाव के बावजूद बिना सोचे-समझे त्वरित कार्रवाई का आधार नहीं बनता न ही सरकार की ओर से तुरंत नीतिगत प्रतिक्रिया होनी चाहिए.’ अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2008 के अंत तक मुख्य फेडरल कोष दर को शून्य पर रखा हुआ है ताकि आर्थिक सुधार में मदद मिल सके.

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