नयी दिल्ली: प्याज की कीमतों में मौसमी उछाल से निपटने के लिए नए तरीके निकालने की जरुरत है क्योंकि किसान अब रबी की प्याज का भंडारण करने लगे हैं ताकि उसे वे अगस्त से अक्तूबर के दौरान बेच कर अच्छा दाम हासिल कर सकें जबकि बाजार में प्याज की आवक कम हो जाती है. यह बात उपभोक्ता मामले के मंत्रलय के सचिव पंकज अग्रवाल ने कही है.
अग्रवाल ने कहा, सबसे पहले, सबको समझना होगा कि रबी (जाड़े के) के प्याज का विपणन किया जा रहा है. (बेचने वालों के लिए) भंडार किए गये प्याज को अगस्त. अक्तूबर के प्याज की अवधि में धीरे धीरे बाजार में निकालना अच्छा होता है जबकि बाजार में आपूर्ति कम हो जाती है.’ उन्होंने कहा कि कीमत में मौसमी तेजी से निपटने के लिए नए तरीके अपनाने की जरुरत है.
उन्होंने कहा कि ज्यादातर प्याज महाराष्ट्र में भंडार किया जात हैं, इसी राज्य से दिल्ली सहित अन्य राज्यों में प्याज की कीमतों का रख तय होता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को प्याज भेजने वाला राज्य मध्य प्रदेश के प्याज की कीमतें भी महाराष्ट्र के लासालगांव की कीमतों से प्रभावित होती हैं.
अग्रवाल ने कहा, देश में प्याज उत्पादन में करीब 4 प्रतिशत की कमी है. लेकिन अगस्त में आपूर्ति 34 प्रतिशत कम और सितंबर में 39 फीसद कम थी. इस तरह उत्पादन में कमी प्याज की आपूर्ति में कमी के अनुपात से मेल नहीं खाती…इसका मतलब यह हुआ कि कोई जमाखोरी कर रहा है.
अग्रवाल ने कहा ‘‘आप ऐसा करना चाहेंगे? क्या आप चाहते हैं कि किसानों पर इंस्पेक्टर राज लागू हो. हम इस तरह काम नहीं करना चाहते. कुछ चुनौतियां हैं.’’ देश भर में भंडारित 27 लाख टन प्याज में से सिर्फ महाराष्ट्र में भी 15 लाख टन का भंडारण किया गया था जो सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. महाराष्ट्र ने भंडरित किए गए ज्यादातर प्याज को अब बेच दिया गया है. अब वहां भंडार में करीब दो लाख टन प्याज है.
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