मुंबई : आरबीआई के गर्वनर रघुराम राजन ने कहा कि हम मुद्रास्फीति विरोधी हैं. मुद्रास्फीति के ऊं चे दबाव के चलते रेपो दर बढ़ाई गयी है. उन्होंने कहा कि रुपया में गिरावट, तेल की ऊंची कीमतों का मुद्रास्फीति पर असर होगा.
राजन ने मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा पर अपने वक्वव्य में कहा है, औद्योगिक क्षेत्र में कमजोरी और शहरी मांग की मौजूदा स्थिति कोे देखते हुए मुद्रास्फीति और मुदास्फीति संबंधी प्रत्याशाओं पर अंकुश बनाए रखने की आवश्यकता है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीति को और अधिक सहनीय स्तर पर लाने के लिए आवश्यक है कि रेपो दर को 0.25 प्रतिशत और बढ़ा दिया जाये.
केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को मौजूदा चार प्रतिशत पर बनाये रखा है. वाणिज्यिक बैंकों को इसी अनुपात में अपने पास जमा राशियों को केंद्रीय बैंक के पास नकदी के तौर पर जमा रखना होता है.
लेकिन इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए सीआरआर के दैनिक स्तर को बनाये रखने के मामले में थोड़ी ढील दी है. अब उन्हें 21 सितंबर से हर रोज सीआरआर खाते में कम से कम 99 प्रतिशत की जगह 95 प्रतिशत तक ही जमा रखना जरुरी होगा.
खाद्य वस्तुओं की महंगाई के दबाव में थोक मुद्रास्फीति अगस्त माह में बढ़ कर 6.1 प्रतिशत हो गयी. यह पिछले छह माह की मुद्रास्फीति की उच्चतम दर है.
रिजर्व बैंक के नये गवर्नर रघुराम गोविंद राजन ने मौद्रिक नीति की समीक्षा में यद्यपि मुद्रास्फीति के खिलाफ आक्रामक रख बनाए रखा पर उन्होंने उधार नकदी की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज घटा 0.75 प्रतिशत कम कर बैंकों के लिए कुछ राहत भी दी है. अब इस सुविधा के तहत आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को 9.5 प्रतिशत पर अतिरिक्त नकदी उपलब्ध करायेगा. अभी तक यह दर 10.25 प्रतिशत थी.
आरबीआईर् ने अपनी मुख्य नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत ऊंची कर 7.5 प्रतिशत कर दी है. यह वह दर है जिस पर वह बैंकों को एकाध दिन के लिए पैसा उधार देता है. रिजर्व बैंक के इस कदम से शेयर बाजार के साथ- साथ रुपये को भी झटका लगा. विदेशी विनियम बाजार में डालर के समक्ष स्थानीय करेंसी 69 पैसे टूट कर 62.46 रुपये प्रति डालर पर पहुंच गयी.
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