बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया नौ बजे सुबह 66.90 तक मजबूत हुआ, लेकिन बाद में 261 पैसे कमजोर होकर 68.85 के न्यूनतम स्तर तक गिर गया. रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद जीवन बीमा निगम ने खरीदारी की, तो मुद्रा और शेयर बाजार को सहारा मिला. पर रुपया मजबूती कायम नहीं रख सका और 256 पैसे गिर कर 68.80 के स्तर पर बंद हुआ.इधर, सुबह 10.40 बजे तक 473.28 अंक तक गिरने के बाद सेंसेक्स 28.07 अंक सुधरा और 17996.15 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी 2.45 अंक गिरा. विशेषज्ञों ने संकेत दिया कि हालात नहीं सुधरे, तो अर्थव्यवस्था की हालत 1991 से बुरी हो जायेगी.
भाकपा के सांसद गुरुदास दासगुप्त ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों से देश ‘आर्थिक सुनामी’ की ओर बढ़ रहा है. वित्त मंत्री चिदंबरम बकवास कर रहे हैं. अर्थशास्त्रियों की ‘त्रिमूर्ति’ (प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और वित्त मंत्री पी चिदंबरम) के बावजूद अर्थव्यवस्था हर क्षेत्र में न केवल सिकुड़ रही है, बल्कि यह ‘दिवालिया’ हो गयी है. देश के आर्थिक हालात इतने खराब और अराजक हैं कि करोड़ों लोग रोजगार गंवा रहे हैं. विनिर्माण, कृषि, विदेशी मुद्रा भंडार, सेवा क्षेत्र सहित सभी क्षेत्र सिकुड़े हैं.’ इधर, आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा है कि रुपये में गिरावट की वजह ‘तर्कहीन धारणा’ है. घबराने की कोई जरूरत नहीं. यह अपने आप सुधर जायेगी. चालू खाते का घाटा उम्मीद से कहीं कम रहेगा. इसमें गिरावट दिखनी भी शुरू हो गयी है.
सोना-चांदी में जबरदस्त उछाल
गिरावट का सच
3डी विकल्प
उपाय जो नाकाम हो गये
नेतृत्व की कमी से बढ़ रहा संकट : रतन टाटा
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा मानते हैं कि मौजूदा आर्थिक संकट की वजह देश में मजबूत नेतृत्व की कमी है. एक निजी चैनल को दिये इंटरव्यू में टाटा ने कहा कि प्रधानमंत्री की टीम और राजनीतिक वर्ग को एक दिशा में बढ़ने की जरूरत है, न कि राष्ट्रीय हितों से ऊपर व्यक्तिगत एजेंडा लागू करने की. टाटा ने कहा, ‘कई नेता हैं, जिनके सार्वजनिक जीवन के कारण मैंने उन्हें जीवन भर सम्मान दिया. लेकिन, कुछ ऐसा हुआ है, जिससे लीडरशिप कुंद हुआ है’. टाटा ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की योग्यता पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता. वास्तव में टीम एक दिशा में नहीं जा रही. सरकार के कई मंत्री भिन्न-भिन्न दिशाओं में काम कर रहे हैं. कहा, ‘हम पंजाबी, बंगाली, तमिल पहले हैं, भारतीय बाद में.
यह देश के बारे में देखने का तरीका नहीं है.’ उन्होंने कहा कि जो नीतियां तैयार की जाती हैं, उसे उसी तरह लागू किया जाये, तो देश के लिए अच्छा होगा. पर, सरकार की नीतियों से कई हित जुड़े होते हैं. इसलिए नीतियों को समय पर अमल में नहीं लाया जाता (प्राय: निजी क्षेत्र में) या उसका स्वरूप बदल जाता है. कहा कि हाल के दिनों में देश की गरिमा गिरी है. हमने दुनिया का भरोसा खो दिया है. सरकार ने इसे समझने में देरी की. टाटा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात आज मजबूत स्थिति में है. हालांकि, वह मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका के सवाल को टाल गये.
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