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भारत- अमेरिका को मिलकर काम करना चाहिए

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका के बीच और गहरे व्यावयिक संबंध की आवश्यकता पर बल देते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि ‘‘व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के इक्के दुक्के मामलों को’’ दोनों देशों के अच्छे संबंधों की राह में आडे नहीं आने देना चाहिए. यहां कल अमेरिका भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के 38वें नेतृत्व सम्मेलन […]

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका के बीच और गहरे व्यावयिक संबंध की आवश्यकता पर बल देते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि ‘‘व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के इक्के दुक्के मामलों को’’ दोनों देशों के अच्छे संबंधों की राह में आडे नहीं आने देना चाहिए.

यहां कल अमेरिका भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के 38वें नेतृत्व सम्मेलन में चिदंबरम ने अमेरिका के आव्रजन कानून में संशोधन के लिए अमेरिकी सीनेट में पारित विधेयक के प्रावधानों पर चिंता जाहिर की. इन प्रावधानों से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों के लिए अमेरिका में अस्था काम करने के लिए आने हेतु वीजा मिलने की राह ज्यादा कठिन हो जाएगी.वित्त मंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी से भारत की अपनी आर्थिक मुश्किले और गहरायी हैं. उन्होंने कहा कि भारत अपनी बढती आबादी और युवा पीढी के लिए रोजी रोजगार के अवसर बढाने में लगा है. ऐसे में दूसरों को धैर्य रखना चाहिए.

चिदंबरम ने कहा ‘‘भारत ने इससे पहले तीव्र अर्थिक वृद्धि की कीमत उच्च राजकोषीय घाटे, उच्च मुद्रास्फीति और चालू खाते के उंचे खाते के तौर पर चुकाई है. लेकिन यह ऐसी समस्या नहीं है जिससे काबू नहीं पाया जा सके.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि कारोबारी प्रतिस्पर्धा मुक्त बाजार और मुक्त अर्थव्यवस्था की बुनियाद है. व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता को राजनैतिक संबंधों के आड़े न आने दें.उन्होंने अपने भाषण में कहा ‘‘इसलिए मैं आपसे अपील करता हूं कि दोनों देशों के लिए साथ मिलकर काम करने का बड़ा मौका है.’’

चिदंबरम ने यहां मौजूद भारत और अमेरिका के कार्यकारियों, अधिकारियों और राजनेताओं को संबोधित करते हुए कहा ‘‘हम अपनी अर्थव्यवस्था का ईंट दर ईंट निर्माण करने में लगे हैं और इस प्रक्रिया में हम आपकी मदद चाहते हैं.’’ अमेरिकी सीनेट में पारित व्यापार आव्रजन सुधार विधेयक पर चिंता जाहिर करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इसे सुलझाने के लिए अच्छे तरीके की जरुरत है.

उन्होंने कहा ‘‘ज्ञान क्षेत्र के कर्मियों को अस्थाई तौर किसी दूसरे देश में भेजना किसी भी शब्दकोष में आव्रजन की परिभाषा में नहीं आता. फिर भी आव्रजन विधेयक में ऐसा प्रावधान है जिससे लगता है कि ज्ञान क्षेत्र के कर्मियों को अस्थाई तौर पर भेजने के खिलाफ गैर-शुल्कीय बाधाएं खड़ी की जा रही है.’’ चिदंबरम ने कहा ‘‘मैंने अधिकारियों और सांसदों से आव्रजन विधेयक पर अपनी चिंता के संबंध में बात की. उन्होंने इसे ज्यादा गंभीर नहीं माना.’’ दोनों देशों के कारोबार के बीच संबंध गहरे बनोन का आह्वान करते हुए चिदंबरम ने कहा कि भारत के सामने अपनी आबादी के बड़े हिस्से को गरीबी से उपर उठाने और चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था के निर्माण की चुनौती है.

भारत में आर्थिक सुधार के कारण कई भारतीय कंपनियों आकार और कद में इतनी बड़ी हो गई हैं कि वे कई भी अमेरिकी कंपनियों से होड़ ले रही होती हैं. इससे भारतीय और अमेरिकी उद्योगपतियों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा हो गई. उन्होंने कहा ‘‘हमारी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा युवा है जो आकांक्षाएं पूरा करना चाहता है. हमारे पास कुशल कर्मियों का बड़ा समूह है जिसका पूरा फायदा नहीं उठाया गया है.’’ दोनों देशों को मिलकर काम करने की जरुरत है.

चिदंबरम ने कहा ‘‘यदि हम मिलकर काम करें तो हम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी आज, कल और भविष्य की बैठकों से हमें संपन्न समाज बनाने के ज्यादा से ज्यादा मौके मिलेंगे.’’वित्त मंत्री पिछले तीन दिन से वाशिंगटन में हैं और इस दौरान उन्होंने शीर्ष अमेरिकी कार्यकारियों, नीति निर्माताओं और अधिकारियों से मुलाकात की.चिदंबरम ने भारत की अनिवार्य लाइसेंस समेत बौद्धिक संपदा नीति का जोरदार बचाव किया.उन्होंने कहा कि भारत गरीबी उन्मूलन की चुनौती से जूझ रहा दुनिया का सबसे बड़ा देश है.

उन्होंने कहा ‘‘हम इसे दूर करेंगे. हमने ऐसा करने की क्षमता प्रदर्शित की है. वित्तीय संकट के बाद भी भारत की वृद्धि दर आकर्षक रही है. हम आपके साथ मिलकर इन समस्याओं को दूर करेंगे. मेरी आपसे . भारत और अमेरिकी उद्योग से जुड़े मित्रों से अपील है कि हमारे लक्ष्य एक हैं और गरीबी में हमारे बड़े हित निहित हैं.’’ चिदंबरम आज वित्त मंत्री जैक ल्यू से मिलने वाले हैं जिसके बाद वह भारत के लिए रवाना होंगे.

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