नयी दिल्ली : फास्ट फूड श्रृंखला निरुलाज को एक स्थानीय अदालत से राहत मिल गयी है. अदालत ने निरुलाज को दिल्ली विश्वविद्यालय का आउटलेट खाली करने के आदेश को खारिज करते उसे बिना सोचे विचारे किया गया फैसला करार दिया है.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए के चावला ने विश्वविद्यालय की शिकायत पर एस्टेट अधिकारी द्वारा निरुलाज के खिलाफ दिये गये आदेश को खारिज करते हुए कहा, मैं इस अपील को स्वीकार करता हूं और विश्वविद्यालय को कानून के अनुसार नये सिरे से प्रक्रिया शुरु करने की छूट प्रदान करता हूं.
अदालत ने यह आदेश निरुलाज कार्नर हाउस प्राइवेट लि के उपाध्यक्ष जे एस ग्रोवर और निदेशक अमित चड्ढा द्वारा दायर अपील पर दिया. एस्टेट अधिकारी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
अदालत ने कहा कि विश्वविद्यालय ने निरुलाज कार्नर हाउस को आउटलेट खाली करने का आदेश दिया, जबकि 23 अक्टूबर, 2013 को दिल्ली विश्वविद्यालय तथा निरुलाज होटल्स एंड रेस्तरां प्राइवेट लि (निरुलाज कार्नर हाउस की पूर्ण सहायक इकाई) के बीच करार हुआ था, जिसके तहत उसे 10 साल के लिए फैमिली रेस्तरां चलाने का लाइसेंस मिला था.
अपनी शिकायत में विश्वविद्यालय ने मैसर्स निरुलाज कार्नर हाउस के खिलाफ परिसर खाली करने की मांग की थी. अदालत ने कहा कि दिलचस्प यह है कि यह शिकायत उस परिसर के बारे में थी जिसके संबंध में विश्वविद्यालय और निरुलाज कार्नर हाउस के बीच करार हुआ था.
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