नयी दिल्ली : शेयर बाजार में जारी तेजी तथा सार्वजनिक उपक्रमों में न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी के प्रस्ताव को सरकार की ओर से इस बार के बजट में आगे बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए विनिवेश विभाग भी चालू वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों में विनिवेश के जरिये 51,925 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य को संशोधित करने में जुटा है.
सूत्रों ने कहा कि मोदी सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बेच कर ज्यादा राशि जुटाने पर नजर है. 2014-15 का बजट 10 जुलाई को पेश किया जायेगा. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य सरकारी कंपनियों को आर्थिक तौर पर मजबूत करना है. सरकार के इस प्रयास से आर्थिक संकट से जूझ रहीं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को काफी सहूलियत मिल सकती है.
दरअसल, चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में काफी उछाल आया है. खास तौर पर जबसे मोदी की सरकार ने ग्रहण किया है, तभी से शेयर बाजार में उछाल का रुख रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों में भारी उछाल आने के बाद सरकार ने उसके विनिवेश के दायरे को भी बढ़ाने का निर्णय किया है. सूत्रों के अनुसार, 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी नियम के तहत चालू वित्त वर्ष में कुछ कंपनियों में हिस्सेदारी बेचे जाने के मामले में तेजी लायी जायेगी.
इस साल बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स अब तक 13 प्रतिशत से अधिक चढ़ा है. सूत्रों ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों का मूल्य अच्छा है और विनिवेश से ज्यादा कोष प्राप्त करने में मदद मिलेगी. बताया यह भी जा रहा है कि सरकार के इस प्रयास से राजकोषीय घाटे को सीमित करने की दिशा में विनिवेश महत्वपूर्ण है. वित्त वर्ष 2013-14 में राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत था.
चालू वित्त वर्ष इसके 4.1 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा गया है. अंतरिम बजट के अनुसार, एचजेडएल तथा बाल्को में हिस्सेदारी बेच कर 15,000 करोड़ रुपये जबकि सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी बेच कर 36,925 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रकार विनिवेश से 51,925 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है. पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने कहा कि सभी सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों को तीन साल के भीतर न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता को हासिल करना होगा.
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