हैदराबादः जेनरिक दवाओं के दाम में कृत्रिम रूप से तेजी लाने की शिकायत के संबंध में 12 और कंपनियों के खिलाफ जांच की जा सकती है. इन कंपनियों में डॉ रेड्डीज, सन फार्मा और ग्लेनमार्क शामिल हैं. वॉशिंगटन राज्य के अटॉनी जनरल ने इसकी जानकारी दी. वॉशिंगटन के अटॉर्नी जनरल (एजी) बॉब फरगुसन ने आधिकारिक बयान में कहा कि उनके साथ 45 राज्यों के एजी ने संघीय न्यायालय से लंबित शिकायत का दायरा बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने न्यायालय से जांच के तहत आने वाली कंपनियों की संख्या को 6 से बढ़ाकर 18 और प्रभावित दवाओं की संख्या को दो से बढ़ाकर 15 करने की मांग की है.
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राज्यों का आरोप है कि इन कंपनियों ने एंटी-ट्रस्ट कानूनों (प्रतिस्पर्धा नियमों) का उल्लंघन करके कृत्रिम रूप से दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की है और प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए बाजार को विभाजित करने पर सहमत हुए. इससे कुछ दवाओं के दामों में 1,000 फीसदी तक का उछाल देखा गया.
गौरतलब है कि अमेरिका में दवा कंपनियों को कीमत तय करने और उन्हें ऊपर उठाने का षड्यंत्र रचने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले, मुकदमे में छह जेनरिक दवा निर्माता कंपनियों-हेरिटेज फार्मास्यूटिकल्स, अरबिंदो फार्मा यूएसए, सिट्रोन फार्मा, मायने फार्मा (यूएसए), मायलन फार्मास्यूटिकल्स और तेवा फार्मास्यूटिकल्स यूएसए- का प्रतिवादियों के रूप नाम दर्ज किया गया था.
राज्यों ने शिकायत का दायरा बढ़ाने की मांग करते हुए एक्टविस होल्डो यूएस, एक्टविस फार्मा, एसेंड लेबोरेटरीज, एपोटेक्स कॉर्प, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल), एमक्योर फार्मास्युटिकल्स, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स, लैननेट कंपनी, पार फार्मास्युटिकल कंपनी सैंडोज, सन फार्मास्युटिकल इंडस्टरीज और जाइडस फार्मास्युटिकल्स (यूएसए) को शामिल करने को कहा है.
इस मामले पर डॉ रेड्डीज की ओर से कहा गया है कि उन्हें इस मामले में अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा जारी जांच के बारे में जानकारी है. कंपनी इस मामले में सभी प्राधिकरणों को पूरा सहयोग करने का इरादा रखती है. उन्होंने कहा कि यह मामला विचारधीन है, इसलिए वह आगे कुछ भी टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
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