नयी दिल्लीः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2011-16 के बीच फसल बीमा योजना के खराब अनुपालन के लिए लताड़ लगायी है. कैग ने कहा कि इस अवधि में 3,622.79 करोड़ रुपये का कोष बिना किसी जांच के निजी बीमाकर्ताओं को जारी किया गया. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने इस अवधि में प्रीमियम सब्सिडी और दावा देनदारिता के लिए कुल 32,606.65 करोड़ रुपये का व्यय किया. इस कोष का लेन-देन सार्वजनिक क्षेत्र की कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) के माध्यम से निजी कंपनियों को किया गया.
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कैग ने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस), संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) और मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस) के 2011-12 से 2015-16 के दौरान अनुपालन का आकलन किया. हालांकि, 2016 में खरीफ के मौसम से इन सभी योजनाओं को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत लाया गया.
संसद में पेश की गयी रिपोर्ट में कैग ने कहा कि 2011-16 के बीच एआईसी ने 10 निजी बीमा कंपनियों को दिशानिर्देशों के बिना किसी अनुपालन के 3,622.79 करोड रपये का कोष जारी किया. इसमें कहा गया है कि एआईसी केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पुर्नबीमा देने में भी असफल रही है.
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