पिपरा सुपौल विधानसभा चुनाव 2025
Pipra Supaul Vidhan Sabha Chunav 2025
Bihar Assembly Election 2025: सुपौल जिले का यह विधानसभा क्षेत्र कोसी नदी में आने वाली बाढ़ से हर जूझता है. कई जानें बाढ़ की चपटे में आने से चली जाती है. शिक्षा, स्वास्थ्य, स्कूल और रोजगार आज भी यहां का प्रमुख चुनावी मुद्दा है. यहां के लोग आज भी बिजली-सड़क-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.
Bihar Assembly Election 2025: पिपरा(42) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. पिपरा विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. यह एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है. यह सुपौल जिले में स्थित है और सुपौल संसदीय सीट के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आई है. सुपौल जिले में कुल 5 विधानसभाएं आती हैं। इनके नाम है- सुपौल, पिपरा, निर्मली, छातापुर और त्रिवेणीगंज.
अभी है जदयू का कब्जा
यहां 2020 में जनता दल यूनाइटेड ने जीत दर्ज की थी. जदयू ने राम विलास कामत को अपना उम्मीदवार बनाया था जिनकी सीधी टक्कर राजद के प्रत्याशी विश्वमोहन मंडल से रही. बिहार इलेक्शन 2020 के आए परिणाम में जदयू के राम विलास कामत ने राजद उम्मीदवार विश्वमोहन मंडल को पराजित कर जीत हासिल की है. 2020 विधानसभा चुनाव तक पिपरा विधानसभा के कुल मतदाता 289160 थी, जबकि 2020 विधानसभा चुनाव के अनुसार पिपरा विधानसभा के मतदान केंद्रों की संख्या 404 थी. विधानसभा चुनाव 2020 में पिपरा(42) विधानसभा में 62.93% मतदाताओं ने मतदान किया था, जबकि 2015 विधानसभा चुनाव में यहां पर 61.13% मतदाताओं ने वोट डाला था.
2010 में पहली बार इस सीट पर वोटिंग
2015 के चुनाव में आरजेडी के प्रत्याशी यदुवंश कुमार यादव को जीत मिली. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विश्वमोहन कुमार को हराया. आरजेडी को कुल 85,944 वोट पड़े, तो बीजेपी को 49,575 वोट मिले. कुल 9 उम्मीदवारों ने चुनाव में हिस्सा लिया था, जिनमें से 7 की जमानत जब्त हो गई थी. 2008 में यह सीट अस्तित्व में आई है. 2010 में पहली बार इस सीट पर वोटिंग हुई. तब जनता दल यूनाइटेड की सुजाता देवी ने एलजेपी के प्रत्याशी दीनबंधु यादव को हराया था. जेडीयू को इस साल 44,833 वोट मिले थे, वहीं एलजेपी को महज 30,197 वोट हासिल हुए थे. यह क्षेत्र कोसी नदी में आने वाली बाढ़ से हर जूझता है. कई जानें बाढ़ की चपटे में आने से चली जाती है. शिक्षा, स्वास्थ्य, स्कूल और रोजगार आज भी यहां का प्रमुख चुनावी मुद्दा है. यहां के लोग आज भी बिजली-सड़क-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं