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राम कुमार

पटकथा लेखक

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सिनेमा को जीवन से जोड़कर देखते थे चौकसे

पहली बात को रेखांकित की जानी चाहिए, वह यह है कि जैसा लेखन जयप्रकाश चौकसे का रहा, हिंदी में सिनेमा पर लिखने की वैसी परंपरा कभी रही नहीं थी.

विवादों से सिनेमा को नुकसान

हिंदी बनाम दक्षिण भारतीय भाषाओं को लेकर बहस भी अनावश्यक है. ऐसी बहसें न तो सिनेमा के हित में हैं और न ही हिंदी एवं अन्य भाषाओं के.