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प्रो रवींद्र

'परिचय दास' प्रोफेसर, नव नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा

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ज्ञान के अविरल प्रवाह का नाम है नालंदा

प्रख्यात चीनी भिक्षु और यात्री ह्वेनत्सांग ने नालंदा में अध्ययन और अध्यापन किया था. गुप्त काल के बाद भी नालंदा को शाही संरक्षण प्राप्त रहा. यहां चीन, जापान, कोरिया और दक्षिण-पूर्व और मध्य एशिया के देशों से छात्र आते थे.

भिखारी ठाकुर की सर्जनात्मकता और ‘बिदेसिया’

हम इस नाट्य कृति में उसी प्रकार की विविधता से साक्षात्कार कर पाते हैं. 'बिदेसिया' रचना भोजपुरी समाज के गीतों की तरह की दंतकथाओं, उपाख्यानों, दृष्टांतों या यहां तक कि हास्य जैसे प्रसंगों को केंद्रित या शामिल करने वाली विषयवस्तुओं की लोक
परंपराओं को संरक्षित करने का काम करती है.

सूर्य के प्रति कृतज्ञता का महापर्व है छठ

अपने लक्ष्य तक पहुंचना और निष्काम भाव से लोकहित के कर्म करना सूर्य देव का स्वभाव है. प्रत्येक जीव को ऊर्जा और ऊष्मा देकर जीवन को संभव बनाने वाले सूर्यदेव का यह लोक ऋणी क्यों न हो. छठ महापर्व पर हम सभी उनके प्रति कृतज्ञता का भाव अर्पित करते हैं.

भिक्षु जगदीश काश्यप : सचमुच के बोधिसत्व

जगदीश काश्यप के पिता का नाम श्यामनारायण लाल, मां का बतासो देवी व पितामह का भिखारी लाल था. उनका पैतृक निवास गया जिले के खिदिर सराय का रोनिया गांव था. उन्होंने रांची से मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से एफए, बीए व एमए किया
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