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कुमार मुकुल

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग लखनऊ, विश्वविद्यालय

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नागार्जुन की रचनाओं में लोकजीवन

अपने उपन्यासों की रचना नागार्जुन ने नव धनाढ्य वर्ग को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि हमारा जो लोक जीवन है और उसमें जैसे-जैसे आधुनिकता का समावेश हो रहा है, उसको ध्यान में रखकर की है.