कोलकाता : विवादास्पद उपन्यास लज्जा की 20वीं वर्षगांठ पर लेखिका तसलीमा नसरीन की बंगाली भाषा में लिखी इस कृति का अब नये सिरे से अंगरेजी में अनुवाद किया गया है. कार्यकर्ता एवं लेखिका अचिंत घटक द्वारा अनुवादित लज्जा का पेंग्वीन प्रकाशन का यह 20वां उन्नत संस्करण है. नसरीन ने कहा, यह वृतचित्र उपन्यास जैसा है. इसमें काल्पनिक चरित्र हैं जो तथ्यों पर आधारित हैं.
लज्जा लंबे समय तक सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बनी रही है. यह लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अनुवादित और प्रकाशित की गयी है तथा फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, स्पैनिश, डच जैसी विदेशी भाषाओं में भी इसका अनुवाद हुआ है.
लज्जा में 1992 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बांग्लादेश में रहने वाले एक बंगाली परिवार दत्ता और उसके संघर्षों की कहानी कही गयी है. जब अयोध्या में विवादास्पद ढांचा ध्वस्त हुआ था. लज्जा के 1993 में प्रकाशित होने के एक वर्ष बाद तसलीमा को बांग्लादेश छोडड़ देना पड़ा था क्योंकि उन्हें उनके कथित गैर इसलामी विचारों के कारण कट्टरपंथी संगठनों की ओर से जान से मारने की धमकी दी गयी थी.
डॉक्टरी पेशे से लेखन के क्षेत्र में कदम रखने वाली तसलीमा उसके बाद से निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही है. यूरोप में काफी समय तक रहने के बाद 2004 से वह भारत में शरण लिये हुए हैं. तसलीमा के नाम ह्यद्विखंडितोह्ण, अपूरपोखो, अमर मेयेबेला और उतल हवा जैसी कृतियां हैं.