कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार की सीबीआइ हिरासत 19 सितंबर तक बढ़ा दी गयी है. मंगलवार को उन्हें अलीपुर कोर्ट स्थित एसीजेएम हराधन मुखोपाध्याय की अदालत में पेश किया गया. अदालत में अपने बचाव में रजत मजूमदार ने सीबीआइ जांच को लेकर नाराजगी जतायी. पूर्व डीजीपी ने सीबीआइ अधिकारियों पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया.
सूत्रों के मुताबिक, रजत ने कोर्ट में कहा, वर्ष 2011 में मैंने सारधा में बतौर सलाहकार काम शुरू किया था. साल 2012 तक इस कंपनी के लिए काम किया. यह सारी बातें मैंने सीबीआइ अधिकारियों को बताया है. सारे कागजात भी उन्हें सौंप चुका हूं.ह्ण लेकिन अपने बयान से ही रजत मजूमदार अपना पक्ष कमजोर करते नजर आये. उन्होंने कोर्ट से कहा, ह्यसीबीआइ चाहे तो आइपीसी की धारा 120बी अर्थात आपराधिक षडयंत्र रचने का मामला मेरे ऊपर दायर कर सकती है. लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं.
रजत के इसी बयान पर सीबीआइ के अधिवक्ता पार्थ सारथी दत्त ने कहा कि रजत ने खुद एक मामले में षडयंत्र रचने का आरोप स्वीकार किया है. लिहाजा इसी तरह अन्य आरोप भी जल्द ही वे स्वीकार करेंगे. उन्होंने उचित आयकर नहीं चुका कर आयकर विभाग को भी नुकसान पहुंचाया है.
सीबीआइ उन्हें सारधा के दफ्तर ले जाकर जांच आगे बढ़ाना चाहती है. लिहाजा उन्हें सीबीआइ हिरासत में भेजा जाये. उधर, रजत के अधिवक्ता तीर्थंकर राय ने कहा की पूर्व डीजीपी की गिरफ्तारी का कारण भी सीबीआइ नहीं बता सकी है. सीबीआइ उनके ऊपर मानसिक दबाव डालने की कोशिश कर रही है. जांच में प्रगति नहीं होने के कारण रजत को जमानत पर रिहा कर दिया जाये. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रजत की सीबीआइ हिरासत की अवधि बढ़ा दी.