नया साल आने ही वाला है. एक बार फिर हम सब अपने आप को सुधारने की कोशिश करेंगे, पर क्या इन सबसे कुछ बदलाव आयेगा? क्या हम सब हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में भाईचारे के साथ रह रहे हैं?
ठीक बड़ा दिन के दिन गिरजाघर में तोड़ फोड़ और स्कूलों में बड़ा दिन न मनाने की धमकी, ये किस बात के संकेत हैं? कुछ लोग आज भी देश में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं? क्या कोई भी धर्म इन सब बातों की इजाजत देता है? कब तक हम बदलाव का इंतजार करें? आइए, नये साल में हम सब यह संकल्प लें कि हम दूसरों को न देख, सिर्फ अपने आप को बदलें. हम अपने हृदय का परिवर्तन करें.
ई बी डेविड, जमशेदपुर.