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सिरदर्द का ही गंभीर रूप है माइग्रेन, ऐसे बरतें सावधानियां
डॉ मनीष वैश्य ब्रेन एंड स्पाइनल पीपीएल, एसोसिएट डायरेक्टर, न्यूरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश सिरदर्द बहुत ही सामान्य स्थिति है, जिसके कारण सिर, खोपड़ी या गर्दन में दर्द और परेशानी होती है. एक अनुमान के अनुसार 10 में से 7 लोगों को साल में कम से कम एक बार गंभीर […]
डॉ मनीष वैश्य
ब्रेन एंड स्पाइनल पीपीएल, एसोसिएट डायरेक्टर, न्यूरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
सिरदर्द बहुत ही सामान्य स्थिति है, जिसके कारण सिर, खोपड़ी या गर्दन में दर्द और परेशानी होती है. एक अनुमान के अनुसार 10 में से 7 लोगों को साल में कम से कम एक बार गंभीर सिरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है. सिरदर्द के कारण काम में ध्यान केंद्रित करने और दूसरी दैनिक गतिविधियां करने में समस्या आती है.
लेकिन अधिकतर सिरदर्द को दवाइयों और जीवनशैली में परिवर्तन लाकर ठीक किया जा सकता है. सिरदर्द तीन प्रकार के होते हैं- टेंशन हेडएक, क्लस्टर हेडएक और माइग्रेन.
टेंशन हेडएक : टेंशन हेडएक सबसे सामान्य प्रकार है और यह बीस वर्ष से अधिक की महिलाओं को अधिक होता है. इसमें ऐसा लगता है, जैसे किसी ने सिर के आसपास कसकर कोई पट्टा बांध दिया हो. यह गर्दन और खोपड़ी की मांसपेशियों के टाइट होने से होता है. खराब पॉस्चर और तनाव इसके सबसे बड़े रिस्क फैक्टर्स हैं. यह आमतौर पर कुछ मिनटों तक रहता है, लेकिन कुछ मामलों में कई दिनों तक रह सकता है, बार-बार भी हो सकता है.
क्लस्टर हेडएक : यह नॉन-थ्रोबिंग हेडएक है. इसमें सिर के एक ओर तेज दर्द होता है, आंखों से आंसू निकलने लगते हैं और नाक बहने लगती है.
यह लंबे समय तक रह सकता है, जिसे क्लस्टर पीरियड्स कहते हैं. ये क्लस्टर पीरियड छह सप्ताह तक लंबा हो सकता है. रोज हो सकता है और दिन में एक बार से अधिक हो सकता है. हालांकि इस सिरदर्द के मामले कम ही देखे जाते हैं.
माइग्रेन : लंबे समय तक चलनेवाला सिरदर्द आगे चलकर माइग्रेन का रूप धारण कर लेता है. माइग्रेन का दर्द कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक रह सकता है.
अभी हाल के दिनों तक माना जाता था कि माइग्रेन संवहनी होता है, जो मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है. लेकिन कई अनुसंधानों में यह बात सामने आयी है कि माइग्रेन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी के कारण होता है, जिसके कारण न्यूरोट्रांसमीटर्स का संचरण प्रभावित होता है और विशेष रूप से सेरोटोनिन का असंतुलन हो जाता है.
माइग्रेन के दो प्रकार के होते हैं- क्लासिकल और नॉन क्लासिकल. जब माइग्रेन का दर्द ‘ऑरा’ (दृष्टि संबंधी गड़बड़ी) के बाद शुरू होता है, तब इसे क्लासिकल माइग्रेन कहते हैं. इसमें आमतौर पर सिरदर्द के 10-15 मिनट पहले ऑरा के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. जब सिरदर्द बिना ‘ऑरा’ और दूसरे लक्षणों के साथ शुरू होता है, तब इसे नॉन क्लासिकल या सामान्य माइग्रेन कहते हैं.
तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें : सिरदर्द किसी गंभीर स्थिति जैसे स्ट्रोक, मेनिनजाइटिस या एनसेफेलाइटिस का लक्षण हो सकता है. अगर सिरदर्द के साथ ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. जैसे- भ्रमित होना, बेहोशी छा जाना, तेज बुखार (102-104 डिग्री फॉरेनहाइट), सुन्नपन, कमजोरी या शरीर का एक भाग लकवाग्रस्त हो जाना, गर्दन में अकड़न, देखने, बोलने, चलने में परेशानी आना, जी मिचलाना या उल्टी होना.
माइग्रेन के लक्षण
जब माइग्रेन ऑरा के साथ आता है, तो सामान्य लक्षणों के अलावा निम्न समस्याएं भी होती हैं –
जी मिचलाना और उल्टी होना.
सिरदर्द के दौरान धुंधला दिखना.
थोड़ी भी रोशनी और शोर में दर्द असहनीय रूप से बढ़ जाना.
काम करने में अत्यधिक कमजोरी महसूस होना.
शरीर में दर्द होना.
मस्तिष्क में कमजोरी लगना, बालों को बांधने में भी परेशानी.
सोचने की क्षमता प्रभावित होना.
बोलते समय उपयुक्त शब्द की तलाश नहीं कर पाना.
ट्रिगर या कारण
वैसे तो माइग्रेन के वास्तविक कारण स्पष्ट नहीं हैं. अक्सर देखा जाता है कि माइग्रेन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होता है. मनोवैज्ञानिक समस्याएं, जैसे- उत्तेजना और गहरा अवसाद या न्यूरॉटिक डिसऑर्डर जैसे पक्षाघात और मिरगी भी माइग्रेन के खतरे को बढ़ा देते हैं. इसके कुछ अन्य कारण हैं :तनाव और नींद की कमी. हार्मोंस में बदलाव, विशेषकर महिलाओं में. मील स्किप करना, कैफीन और अल्कोहल का सेवन. मौसम में बदलाव. तेज म्यूजिक या शोर. कुछ खाद्य पदार्थों जैसे चॉकलेट, मांस, नूडल्स, बीयर, वाइन आदि का अत्यधिक सेवन. शारीरिक क्षमता से अधिक कार्य या एक्सरसाइज करना, पूरी नींद न लेना या रात में देर तक जागना या बहुत ज्यादा सोना, डिहाइड्रेशन आदि.
फैक्ट फाइल
माइग्रेन अनुवांशिक रोग है. करीब 70 प्रतिशत लोग, जिन्हें माइग्रेन होता है, उनके परिवार के किसी सदस्य (मां, पिता, बहन या भाई) या रिश्तेदार को यह समस्या हो सकती है.
अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि पानी पीते रहने से सिरदर्द और माइग्रेन की तेजी को कम करने में मदद मिलती है.
अगर माता-पिता में से किसी एक को माइग्रेन होगा, तो बच्चे को माइग्रेन होने की आशंका 40 प्रतिशत और अगर दोनों को माइग्रेन है, तो 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.
2001 में बर्लिन में हुए एक शोध के अनुसार, म्यूजिक थेरेपी क्रॉनिक हेडेएक में लाभदायक हो सकती है.
सावधानियां
रक्त में शूगर का स्तर कम न होने दें. नियत समय पर खाना खाएं, नाश्ते का सेवन अवश्य करें.
तनाव न लें. मस्तिष्क को शांत रखने के लिए ध्यान और योग को दिनचर्या में शामिल करें.
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का वर्कआउट जरूर करें.
6-8 घंटे की गहरी नींद लें.
गैजेट्स का प्रयोग कम करें, विशेष रूप से सोने से पहले.
पानी और दूसरे तरल पदार्थों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें.
दर्दनिवारक दवाओं का प्रयोग कम-से-कम करें.
शमीम खान, दिल्ली
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