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चीन का नया पैंतरा : विदेशी प्रतिबंधों के खिलाफ संसद में किया नया कानून पारित, कोरोना वायरस को लेकर है जांच की जद में

पूरी दुनिया में फैली कोरोना महामारी के वायरस को वुहान के वायरोलॉजिकल रिसर्च सेंटर से बाहर निकलने को लेकर भी वह जांच के दायरे में है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल से ही वह संदेह के घेरे में है. इसके पहले भी, ट्रंप प्रशासन ने चीन पर कई तरह के व्यापारिक मामलों को लेकर प्रतिबंध लगाने के साथ ही चीन से आयातित वस्तुओं के सीमा शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला किया था.

बीजिंग : तथाकथित तौर पर कोरोना वायरस के जन्मदाता का ठप्पा लगने से ही पहले ही चीन ने नया पैंतरा चल दिया है. उसने गुरुववार को विदेशी प्रतिबंधों से खुद को बचाने के लिए अपनी संसद में नया कानून पारित कर दिया है. इस नए कानून के जरिए वह अपने अफसरों और संस्थाओं को पूरी तरह बचाने में कामयाबी हासिल करने की फिराक में है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति ने इस नए कानून को पारित किया है. हांगकांग में चीन का राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किए जाने और शिनजियांग क्षेत्र में मुस्लिम उइगरों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को लेकर कई चीनी संस्थाओं और अधिकारियों के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की पृष्ठभूमि में यह कानून पारित किया गया है.

इसके साथ ही, पूरी दुनिया में फैली कोरोना महामारी के वायरस को वुहान के वायरोलॉजिकल रिसर्च सेंटर से बाहर निकलने को लेकर भी वह जांच के दायरे में है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल से ही वह संदेह के घेरे में है. इसके पहले भी, ट्रंप प्रशासन ने चीन पर कई तरह के व्यापारिक मामलों को लेकर प्रतिबंध लगाने के साथ ही चीन से आयातित वस्तुओं के सीमा शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला किया था. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई का ही नतीजा है कि हुआवेई की पूर्व सीईओ मेंग वानझोउ धोखाधड़ी के आरोप में जेल की सजा काट रही है.

इधर, मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप में यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा की ओर से समन्वित तौर पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया गया था. इसके जवाब में चीन ने यूरोपीय अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया. हांगकांग के समाचार पत्र साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार, नए कानून में पारदर्शिता की कमी और चीन में व्यवसायों पर संभावित प्रभाव को लेकर विदेशी कंपनियों में चिंता पैदा हो गई है. विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी कंपनियों को सावधान रहने की आवश्यकता होगी.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कानून का बचाव करते हुए गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता, गरिमा और प्रमुख हितों की रक्षा करने तथा पश्चिमी आधिपत्य और सत्ता की राजनीति का विरोध करने के लिए चीनी सरकार ने कुछ देशों के संबंधित लोगों और संस्थाओं के खिलाफ जवाबी कदमों की घोषणा की है. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि यह कानून अन्य देशों के साथ चीन के संबंधों को प्रभावित करेगा.

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Posted by : Vishwat Sen

Prabhat Khabar Digital Desk
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