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मच्छरों को जैविक हथियार बनाना चाहता था हिटलर

बर्लिन:अगर आप यह सोचते हैं कि जैविक हथियार नये जमाने की देन हैं तो आप गलत हैं. जर्मन तानाशाह रहे एडोल्फ हिटलर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मच्छरों को जैविक हथियारों के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना थी. यह बात एक रिपोर्ट में कही गयी है. ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’ मे छपी रिपोर्ट […]

बर्लिन:अगर आप यह सोचते हैं कि जैविक हथियार नये जमाने की देन हैं तो आप गलत हैं. जर्मन तानाशाह रहे एडोल्फ हिटलर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मच्छरों को जैविक हथियारों के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना थी. यह बात एक रिपोर्ट में कही गयी है. ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’ मे छपी रिपोर्ट के मुताबिक, डकाओ मे एक संस्था के वैज्ञानिकों ने इस बात पर शोध किया की मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को कितने दिनों तक जिंदा रखा जा सकेगा ताकि उन्हें दुश्मनों के इलाको मे छोड़ा जा सके.

हिटलर के विशेष दस्ते ‘एसएस’ के प्रमुख हेनरिच हिम्मलर ने जनवरी 1942 में डकाओ मे कीट विज्ञानी संस्थान बनाने का आदेश दिया था. 1944 में वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के मच्छरों पर यह अध्ययन किया की प्रजनन स्थल से दुश्मनों की सीमा में छोड़ने तक मच्छर जीवित रह पाते हैं या नहीं. शोध के अंत मे संस्थान के निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की मच्छरों की एक विशेष प्रकार की प्रजाति एनाफीलिस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. वर्ष 1925 में जर्मनी ने जेनेवा प्रोटोकल पर हस्ताक्ष किये थे जिसके चलते हिटलर ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी थी दूसरे विश्व युद्ध में जर्मन सेना खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगी. इस घोषणा के बाद जर्मनी ने मच्छरों पर शोध खुफिया तरीके से किया. हालांकि, यह शोध हिटलर के लिए ज्यादा उपयोगी साबित नहीं हुआ.

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