संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र के दो मानवाधिकार विशेषज्ञों ने फांसी का इंतजार कर रहे 15 बंदियों की सजा कम करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को एक ‘‘उल्लेखनीय कदम’’ करार देते हुए भारत से फांसी पर स्थगन लगाने को कहा है.
न्यायेतर हत्याओं पर विश्व निकाय के विशेष अधिकारी क्रिस्टोफर हेन्ज ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का यह फैसला भारतीय संविधान में दर्ज मानवाधिकार और मानव जीवन के मूल्यों के प्रति सम्मान की पुष्टि करता है.’’ हेन्ज ने कहा, ‘‘मुझे यह देख कर खुशी है कि उच्चतम न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय मानकों की चर्चा की है और पुष्टि की है कि मानसिक रोग से ग्रस्त लोगों को सजाए मौत नहीं दी जा सकती.’’
उत्पीड़न और अन्य क्रूर, अमानीय बर्ताव या सजा पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष अधिकारी जुआन ई मेंडेज ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया.बहरहाल, मेंडेज ने कहा कि भारतीय अदालतें यह सुनिश्चित करना जारी रखें कि सजाए मौत उत्पीड़न या बुरे बर्ताव पर पूर्ण रोक का उल्लंघन नहीं करे.
हेन्ज और मेंडेज दोनों ही अतीत में भारत केस जुड़े कई व्यक्तियों के मामले बुलंद कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला एक ‘‘उल्लेखनीय कदम’’ है लेकिन उन्होंने भारत से कहा कि वह आगे बढ़े और ‘‘सजाए मौत खत्म करने के विचार के साथ फांसी पर स्थगन लगाए.’’