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ब्रिटेन ने पाक से एमक्यूएम नेता के संदिग्ध हत्यारों की तलाश करने को कहा
लंदन : ब्रिटिश अभियोजकों ने पाकिस्तान से कहा है कि वह मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट :एमक्यूएम: के वरिष्ठ नेता इमरान फारुक के चार साल पुराने हत्या मामले में संलिप्त माने जाने वाले दो संदिग्धों की तलाश करे. फारुक की हत्या 2010 में उत्तर लंदन के एजवेयर में पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय के निकट उनके घर के […]
लंदन : ब्रिटिश अभियोजकों ने पाकिस्तान से कहा है कि वह मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट :एमक्यूएम: के वरिष्ठ नेता इमरान फारुक के चार साल पुराने हत्या मामले में संलिप्त माने जाने वाले दो संदिग्धों की तलाश करे.
फारुक की हत्या 2010 में उत्तर लंदन के एजवेयर में पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय के निकट उनके घर के बाहर चाकू मार कर कर दी गई थी.बीबीसी के ‘न्यूजसाइट’ कार्यक्रम की ओर से हासिल दस्तावेज इन संदिग्धों का नाम मोहसिन अली सैयद और मोहम्मद काशिफ खान कामरान बताते हैं. माना जाता है कि वे पाकिस्तानी हिरासत में हैं, लेकिन उन्हें औपचारिक रुप से गिरफ्तार नहीं किया गया है.
फारुक हत्याकांड में चार हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है, लेकिन अभी तक सिर्फ एक शख्स इफ्तिखार हुसैन को गिरफ्तार किया गया है. हुसैन एमक्यूएम के लंदन आधारित नेता अल्ताफ हुसैन का भांजा है.
हुसैन को हत्या की साजिश रचने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था. वह अभी जमानत पर है. पार्टी का कहना है कि यह गिरफ्तारी गलत सूचना के आधार पर की गई थी.हत्या के 14 महीने बाद, नवंबर 2011 में स्काटलैंड यार्ड प्रमुख बर्नार्ड होगान-होवे ने कहा था कि उनका बल दो गिरफ्तारियों के बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों से संपर्क में है जो माना जाता है कि कराची में की गई हैं.
बहरहाल, उसके बाद से स्काटलैंड यार्ड ने पाकिस्तानी मदद की बात की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया है.उधर, पाकिस्तान सरकार ने इनकार किया है कि किसी को गिरफ्तार किया गया है और अधिकारियों ने ब्रिटेन के क्राउन प्रोसिक्युशन सर्विस के आग्रह के मुद्दे पर किसी सवाल का जवाब नहीं दिया है.
पाकिस्तान में आधिकारिक सूत्रों से बीबीसी को मिले दस्तावेजों के अनुसार सैयद और कामरान ने लंदन अकेडमी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में प्रवेश पाने के आधार पर ब्रिटेन का वीजा पाया था.रिकार्ड के अनुसार दोनों लोग हत्या के कुछ घंटे के बाद 16 सितंबर 2010 को ब्रिटेन से रवाना हो गए थे और श्रीलंका गए. वे 19 सितंबर को वहां से पाकिस्तान पहुंचे.
दस्तावेज में दो और लोगों – कराची के कारोबारी मुअज्जम अली खान और आतिफ सिद्दीक के भी नाम हैं. माना जाता है कि खान ने संदिग्धों के ब्रिटिश वीजा आवेदन का अनुमोदन किया था. वह इफ्तिखार हुसैन से साथ 2010 में संपर्क में रहा.सिंध हाई कोर्ट के दस्तावेजों में एक और शख्स खालिद शमीम का भी नाम है. माना जाता है कि शमीम ने दोनों संदिग्धों को पाकिस्तान लौटने में मदद की.
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