बीजिंग : व्यापार असंतुलन की समस्या के समाधान के लिए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों को चीन बाजार में प्रवेश का और अधिक मौका दिए जाने की मांग का समर्थन करते हुए कई चीन विश्लेषकों ने विनिर्माण और साफ्टवेयर क्षेत्र में क्रमश: चीन और भारत की ताकत को मिला कर करने का सुझाव दिया है.
इन विश्लेषकों का मानना है कि चीन-भारत के संयुक्त उद्यम के जरिए उन्नत विनिर्मित उत्पाद प्रस्तुत किए जा सकते है. उन्होंने ऐसे उत्पाद को ‘चिंडिया’ प्रोडक्ट की संज्ञा दी है. वे एशिया की इन दोनों प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं में खास कर उर्जा के नए स्नेत, नई सामग्री, प्राकृतिक संसाधनों के सरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भारत चीन के बची सहयोग की बड़ी संभावना देख रहे हैं. चीन के समकालीन अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान के दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया, आसियानिया अध्ययन संस्थान के निदेशक हू शिशेंग ने कहा ‘‘चीन का मजबूत पक्ष है विनिर्माण और यदि इसे भारतीय साफ्टवेयर की मदद मिलती है तो यह दोनों देशों के लिए उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत अच्छे अवसर उत्पन्न करेगा.’’
उन्होंने सरकारी अखबार चायना डेली से कहा ‘‘चीन-भारत सहयोग कई क्षेत्रों में हो सकता है जिनमें अक्षय उर्जा, संसाधन संरक्ष्ण और पर्यावरण सुरक्षा आदि शामिल हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत सूचना प्रौद्योगिकी और साफ्टवेयर समेत विभिन्न सेवाओं के क्षेत्र में काफी आगे है. दोनों देशों के लिए संयुक्त उद्यमों की स्थापना और एक दूसरे के यहां निवेश बढाने से दोनों को ही अच्छा लाभ होने की संभावना है. सेवाओं का अपासी व्यापार बढने से व्यापार असंतुलन घटेगा.’’ उन्होनें कहा ‘‘चिंडिया ब्रांड से संयुक्त उद्यम बनाए जा सकते हैं और हम अपनी गुणवत्ता के मानक तय कर सकते हैं. हम दोनों के पास 2.7 अरब ग्राहकों का बाजार है और हम किसी भी नए उत्पाद का परीक्षण कर सकते हैं.’’