बाली : विश्व व्यापार संगठन की एक दिन लंबी चली बाली बैठक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाने और भारत जैसे विकासशील देशों को कृषि सब्सिडी एवं खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के अनुकूल प्रावधान वाले नये पैकेज की मंजूरी के साथ ही विश्व व्यापार संगठन की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक आज संपन्न हो गयी.
तीन दिसंबर को शुरु हुई बैठक के अध्यक्ष इंडोनेशिया की व्यापार मंत्री गीता येरेवाल ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि बाली में विश्व व्यापार संगठन के लिए नया सवेरा हुआ है.बैठक में भारतीय दल के नेता वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि यह दोहा दौर की व्यापार वार्ता को संपन्न कराने की दिशा में एक ‘सकारात्मक कदम’ है.
उन्होंने कहा कि भारत को खुशी है कि दोहा दौर की वार्ता का गतिरोध तोड़ने के प्रयासों को सफलता मिली है.शर्मा ने कहा कि संयोग से 2009 में भी उन्होंने बाली में ही अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि और इंडोनेशिया की तत्कालीन व्यापार मंत्री मेरी पेन्जुस्तो के साथ मिलकर गतिरोध तोड़ने की पहल शुरु की थी.
समापन सत्र में विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक ने दक्षिण अफ्रीका के नेता नेल्सन मंडेला के इस कथन का उल्लेख किया कि ‘‘जब तक मंजिल मिल नहीं जाती, वह असंभव दिखती है.’’बाली में शुरु में यह समझौता असंभव लग रहा था.उन्होंने कहा कि अभी यह दौड़ पूरी नहीं हुयी है. हमें दोहा दौर की वार्ता को पूरा करने के लिए काफी प्रयास करना है.
खाद्य सुरक्षा और अनाज के सरकारी भंडार कार्यक्रम की छूट को लेकर विकासशील देशों को आजादी देने के मामले में भारत के कड़े रख से निकले इस समझौते को पारित कराने के आखिरी दौर में क्यूबा और तीन अन्य देशों की आपत्ति से कल पूरा बाली पैकेज खतरे में पड़ गया था. लेकिन रात भर चली मान-मनौव्वल और बातचीत के बाद मसौदे में एक संशोधन हुआ, जिसके तहत कहा गया कि वस्तुओं की आवाजाही के मामले में 1994 के गैट समझौते का भेदभाव रहित वर्ताव का सिद्धान्त लागू होगा.
इस संशोधन के साथ उसने अपनी आपत्ति वापस ले ली.क्यूबा को व्यापार प्रक्रिया सरल बनाने संबंधी नये समझौते में व्यापारिक प्रतिबंध संबंधी उपबंधों को हटाए जाने पर आपत्ति थी. अमेरिकी प्रतिबंध से पीड़ित क्यूबा इस मामले में चाह रहा था कि भेदभाव के खिलाफ सिद्धान्त को इस समझौते में शामिल किया जाए.
समापन सत्र में शुरु में नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. इस सम्मेलन के दौरान यमन को विश्व व्यापार संगठन :डब्ल्यूटीओ: में 160वें सदस्य देश के रुप में मान्यता प्रदान की गयी.
विश्व व्यापार संगठन के सारे समझौते सर्वसम्मति से किये जाते हैं. जिनीवा में पहले से तैयार प्रस्ताव पर भारत को आपत्ति थी और उसने यहां आने के साथ ही स्पष्ट कह दिया था कि भारत खाद्य सुरक्षा और अनाज की सरकारी खरीद पर कोई ऐसा अंतरिम समाधान स्वीकार नहीं करेगा जिसे अंतिम हल तक जारी रखने का वचन न हो.
जिनीवा प्रस्ताव में एक तथाकथित ‘शांति उपबंध’ के तहत भारत को चार साल की मोहलत दी गई थी. इसके बाद खाद्य सब्सिडी का आंकड़ा उत्पादन लागत के 10 प्रतिशत तक सीमित रखने के नियम का उल्लंघन होने पर डल्यूटीओ के नियमों के तहत पाबंदी लग सकती थी.
शर्मा ने कहा, ‘‘भारत अपनी बात पर अड़ा रहा कि बाली पैकेज के सभी मुद्दों को संतुलित रखना होगा. हमने पूरी विश्वसनीयता के साथ इस पर बात की और हमें पूरे अफ्रीका, एशिया और लातीनी अमेरिका के तमाम विकासशील और गरीब देशों का समर्थन मिला. इससे हमारी ताकत बढी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिका समेत उन सभी विकसित देशों के रवैये की भी प्रशंसा करते हैं कि उन्होंने हमारी बात सुनी और उसको समझा.’’ शर्मा ने कहा, ‘‘कृषि सब्सिडी के बारे में अंतरिम और स्थायी समझौते के बीच की निरंतरता के संबंध में हमारी बात को बाली मसौदे में स्थान मिला है.’’ उन्होंने इस पैकेज को ‘‘नेल्सन मंडेला के प्रति श्रद्घांजलि’’ बताया जो गरीबों के लिए लड़ते रहे.