वाशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस द्वारा गठित एक आयोग के दो शीर्ष सदस्यों ने प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नामांकन को लेकर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि वह हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सजा देने में भारत की विफलता के ‘प्रतीक’ हैं.
सीएनएन के लिए लिखे गए एक विशेष स्तंभ में कैटरीना स्वेट और मैरी एन ग्लेंडन ने कहा, ‘‘गुजरात के एक दूसरे बेटे महात्मा गांधी ने कभी एक व्यापक एवं सहिष्णु देश और उसके बहु धार्मिक समाज का सपना देखा था.’’उन्होंने लिखा, ‘‘जैसे जैसे 2014 पास आ रहा है, देखना होगा कि किसके सपने को अपनाया जाता है? कौन सा भारत रहेगा- धार्मिक स्वतंत्रता वाला या धार्मिक असहिष्णुता वाला? समय बताएगा.’’स्वेट यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम :यूएससीआईआरएफ: की उपाध्यक्ष हैं. वहीं ग्लेंडन इसकी आयुक्त हैं.
‘टू फेसेज ऑफ इंडिया’ :भारत के दो चेहरे: शीर्षक से यह ओप-ऐड स्तंभ सीएनएन के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘ग्लोबल पब्लिक स्केवयर’ के ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया है. भारतीय मूल के प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया इस कार्यक्रम के संचालक हैं.
स्वेट और ग्लेंडन ने कहा, ‘‘गुजरात के उच्च न्यायालय ने अकर्मण्यता के लिए मोदी सरकार को फटकार लगायी और क्षतिग्रस्त धार्मिक ढांचों के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया. 2005 में अमेरिकी विदेश विभाग ने यूएससीआईआरएफ एवं अन्य की अनुशंसा पर मोदी का वीजा रद्द कर दिया.’’स्तंभ में लिखा गया है, ‘‘सही है कि अप्रैल 2012 में उच्चतम न्यायालय का विशेष जांच दल :एसआईटी: करीब 70 लोगों की मौत के एक मामले में मोदी और अन्य के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाया, लेकिन मोदी गुजरात से जुड़े दूसरे मामलों में फंसे हुए हैं जिनकी जांच की जानी या फैसला सुनाया जाना बाकी है.’’
उन्होंने लिखा, ‘‘इस वजह से ही भारत की संसद के 65 सदस्यों ने राष्ट्रपति बराक ओबामा को एक पत्र लिखकर मोदी को वीजा जारी ना करने की अपील की. निराशा की बात है कि इन सबके बावजूद गुजरात का सबसे विवादित नागरिक 2014 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार है.’’