वाशिंगटन : आतंकवाद की सभी रुपों और सभी प्रकारों में निंदा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज कहा कि किसी भी देश की धरती का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों को अस्थिर करने के लिए नहीं होना चाहिए.व्हाइट हाउस में अपनी पहली मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की जिनमें हिंसक चरमपंथ और आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख रहा.
बैठक के बाद जारी किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘ दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश के क्षेत्र का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों को अस्थिर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. इसके साथ ही , दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि चरमपंथ और आतंकवाद मानवता के लिए एक समान चुनौती हैं और इसका समाधान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग तथा साझा प्रयासों में निहित है.’’
हालांकि ओबामा ने पाकिस्तान में ड्रोन हमलों की समाप्ति की शरीफ की इच्छा पर कोई टिप्पणी नहीं की. यह मुद्दा क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध और सुरक्षा की संपूर्ण स्थिति के संदर्भ में उठा था.
ओबामा ने कहा, ‘‘ हमने सुरक्षा और चिंता के साझा मुद्दों पर बातचीत की जिनमें विवेकहीन हिंसा, आतंकवाद और चरमपंथ शामिल था. और हम इस बात पर सहमत हुए कि हमें एक साथ आगे बढ़ने के लिए सृजनात्मक उपायों को बनाए रखने की जरुरत है. उन उपायों को जो पाकिस्तान की स्वायत्तता का सम्मान करते हैंजो दोनों देशों की चिंताओं का सम्मान करते हैं.’’
साझा बयान के अनुसार, परमाणु आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण खतरा बताते हुए ओबामा और शरीफ ने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संतुलन तथा स्थिरता के महत्व और सभी लंबित मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में अधिक पारदर्शिता तथा निर्बाध वार्ता के महत्व को स्वीकार किया.
बयान के अनुसार, ‘‘ शरीफ ने प्रसार और निरस्त्रीकरण के वैश्विक लक्ष्यों के लिए पाकिस्तान का समर्थन दोहराया.’’ इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि सभी पक्षों को अधिकतम संयम बरतते हुए लगातार दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में संयुक्त रुप से काम करना चाहिए.शरीफ ने बहुपक्षीय निर्यात व्यवस्था में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की इच्छा का भी इजहार किया.
ओबामा ने परमाणु सुरक्षा के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और समर्पण में भरोसा जताया और साथ ही इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान परमाणु सुरक्षा तथा सुरक्षा मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ पूरी तरह लगा हुआ है.बयान के अनुसार,‘‘ दोनों नेताओं ने तुर्कमेनिस्तान अफगानिस्तान पाकिस्तान भारत(टीएपीआई)पाइपलाइन परियोजना पर हुई तरक्की का स्वागत किया.’’
अफगानिस्तान में वर्ष 2014 की समाप्ति तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कार्यक्रम तय होने के मद्देनजर दोनों नेताओं ने शांतिपूर्ण, स्थिर , आत्मनिर्भर और एकजुट अफगानिस्तान के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहरायी. संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति के प्रति अपना अपना समर्थन जताया.
ओबामा ने शरीफ के साथ संवाददाताओं को बताया, ‘प्रधानमंत्री और मैं , दोनों इस बात पर सहमत हुए हैं कि अफगानिस्तान का स्थिर, सुरक्षित होना और उसकी स्वायत्तता की रक्षा किया जाना अमेरिका और पाकिस्तान , दोनों के हित में है. ’’उन्होंने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान पूरी तरह अपनी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है और मैं न केवल अफगानिस्तान के चुनाव बल्कि क्षेत्र में स्थिरता के लिए दीर्घकालिक नीति के बारे में की जाने वाली प्रगति पर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को पूरी तरह जानकारी देने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं.’’
शरीफ ने इस मुद्दे पर कहा, ‘‘ एक शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कोई संदेह नहीं होना चाहिए. पूर्व की भांति , हम एक शांतिपूर्ण, स्थिर और एकजुट अफगानिस्तान के निर्माण की दिशा में अमेरिका की भागीदारी जारी रखेंगे.’’दोनों नेताओं ने तालिबान से राजनीतिक प्रक्रिया और अफगान सरकार के साथ वार्ता में शामिल होने का आह्वान किया.