संयुक्त राष्ट्र: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह अपने यहां मौजूद ‘‘आतंकी मशीनरी’’ को बंद करे और यह स्पष्ट कर दिया कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारत की ‘क्षेत्रीय अखंडता’ के साथ ‘‘कभी कोई’’ समझौता नहीं हो सकता.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की इस मांग को लगभग नकार दिया कि कश्मीर मुद्दे का हल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत किया जाये और कहा कि भारत सभी मुद्दों का समाधान शिमला समझौते के तहत चाहता है.शरीफ ने कल संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुरुप हल करने की बात कही थी.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत पाकिस्तान के साथ जम्मू और कश्मीर सहित तमाम मुद्दे शिमला समझौते के तहत द्विपक्षीय वार्तालाप के जरिए सुलझाना चाहता है.’’ भारत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को पुराना मानता है.सिंह ने कहा कि आतंकवाद हर जगह सुरक्षा और स्थायित्व के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है और दुनियाभर में इसकी वजह से बहुत सी जानें जाती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले कुछ दिन में ही अफ्रीका से लेकर एशिया तक, आतंकवाद की इस लानत के कई रुप देखे हैं.’’ सिंह ने गुरुवार को जम्मू के निकट हुए दोहरे आतंकी हमले, जिसमें दस लोग मारे गए थे और केन्या में एक मॉल पर हुए आतंकी हमले के संदर्भ में यह बात कही.उन्होंने कहा, ‘‘सरकार प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद भारत के लिए खास तौर से चिंता का कारण है, यह तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि हमारे क्षेत्र में आतंक का केंद्र हमारे ठीक पड़ोस में पाकिस्तान में स्थित है.’’
मौजूदा राजनीतिक वास्तविकताएं प्रतिबिंबित करने को सुरक्षा परिषद में सुधार हो
संयुक्त राष्ट्रः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तुरंत सुधार की जरुरत बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि स्थायी और अस्थायी सदस्यों के तौर पर और विकासशील देशों को शामिल करके इसे मौजूदा राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिबिंब बनाया जा सकेगा.
विश्व संगठन की आम सभा को संबोधित करते हुए सिंह ने बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में भी विकासशील देशों को निर्णय करने वाले ढांचों में शामिल किए जाने की हिमायत की.भारत विस्तारित और पुनर्गठित सुरक्षा परिषद में खुद को शामिल किए जाने के लिए प्रयासरत है, परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से कुछ भारत के इस प्रयास का समर्थन करते हैं, लेकिन चीन ने इस बारे में कोई वादा नहीं किया है.
सिंह ने कहा, ‘‘भविष्य में बहुपक्षवाद को कारगर और प्रासंगिक बनाए रखने के लिए, बहुपक्षीय संस्थानों के सुधार की जरुरत है. शुरुआत की जगह बिलकुल यही है.’’उन्होंने कहा कि शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर ऐसे समय में नये सिरे से ध्यान केंद्रित है, जब दुनिया बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और इसका पुनर्गठन होना चाहिए ताकि यह मौजूदा राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करे. स्थायी और गैर स्थायी सदस्यों के तौर पर और विकासशील देशों को शामिल किया जाना चाहिए.’’
भारत ने भेदभाव रहित वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण का आह्वान किया
संयुक्त राष्ट्र: भारत ने आज ‘समयबद्ध, भेदभाव रहित, चरणबद्ध तथा सत्यापन करने योग्य’ वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण की वकालत की और इस विषय पर नई अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने पर जोर दिया जिसकी हिमायत 25 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिये संबोधन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साइबर सुरक्षा, अप्रसार और आतंकवाद जैसे अहम मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय आम-सहमति बनाने का भी आह्वान किया.
सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘25 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने परमाणु हथियार मुक्त और अहिंसक वैश्विक व्यवस्था के लिए एक व्यापक कार्ययोजना रखी थी और आज हमें परमाणु प्रसार के खिलाफ प्रयासों को मजबूत करना चाहिए तथा समयबद्ध, वैश्विक, भेदभाव रहित, चरणबद्ध और सत्यापन करने योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण करना चाहिए.’’
गरीबी उन्मूलन शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए
संयुक्त राष्ट्र: दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों के भीषण गरीबी में रहने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज ‘समावेशी विकास’ की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन अंतरराष्ट्रीय समुदाय की शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए.
सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘दुनियाभर में भीषण गरीबी में रह रहे एक अरब से अधिक लोगों की समस्याओं पर और सीधा प्रहार किए जाने की आवश्यकता है.’’ उन्होंने कहा कि गरीबी बड़ी राजनैतिक और आर्थिक चुनौती बनी हुई है और इसके उन्मूलन के लिए विशेष ध्यान और नए सिरे से जोर दिए जाने की आवश्यकता है.
सिंह ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय नेताओं से कहा, ‘‘इस प्राथमिकता को वर्ष-2015 के बाद के विकास एजेंडा में स्थान देना चाहिए और इसे सदस्य देशों द्वारा गढ़ा जाना चाहिए ताकि यह व्यापक संभव समर्थन और स्वीकार्यता हासिल कर सके.’’ उन्होंने कहा कि शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार और शासन महत्वपूर्ण हैं और उसपर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर हम सुदृढ़ आर्थिक वृद्धि की कीमत पर सिर्फ शासन के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हम महत्वाकांक्षी साल 2015 के बाद के विकास एजेंडा को साकार करने से पीछे रह जाएंगे.’’विभिन्न देशों के लिए अपनी घरेलू प्राथमिकताओं को निर्धारित करने के लिए नीति की गुंजाइश होने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि विकासशील देशों की स्थिति को खुद विकासशील देशों से बेहतर कोई नहीं जानता.
सिंह ने कहा, ‘‘इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र स्पष्ट और संक्षिप्त लक्ष्य निर्धारित करे और विकासशील देशों के विचारों पर पूरी तरह गौर करते हुए संसाधनों के पर्याप्त प्रवाह और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समेत कार्यान्वयन के लिए व्यावहारिक और सुपरिभाषित साधन प्रदान करे.’’