सुप्रिया बहुत मेहनती है. घंटों काम कर सकती है. बस इंटरनेट का उपयोग करना उसे ठीक से नहीं आता था. वह इंटरनेट पर बैंकिंग, फोन बिल भरना, टिकट रिजव्रेशन जैसे काम नहीं कर सकती थी. उसे अक्सर डर लगा रहता था कि वह गलती से किसी और के अकाउंट में रुपये न डाल दे. किसी और का बिल न भर दे. कहीं ऐसा न हो कि अकाउंट से रुपये कट जायें और टिकट न आये.
वह गाड़ी से यहां-वहां भागती. रेलवे टिकट के लिए एजेंट्स के पास जाती और उसे 100 रुपये एक्स्ट्रा देती. बैंक में लंबी लाइन में खड़ी होती और फोन बिल भरने भी बहुत दूर जाती. सब उसे समझाते कि ये सब काम घर बैठे इंटरनेट से करना सीख लो, लेकिन वह टालती रहती. पिछले दिनों उसकी सहेली ने जबरदस्ती उसे पास बिठा कर ये काम इंटरनेट से करवाये.
सुप्रिया कहती रही कि ‘जाने दे, मुझसे नहीं होगा ये सब’, लेकिन सहेली ने एक न सुनी. आखिरकार डरते-डरते उसने ये काम कर लिये. सहेली बोलती जाती कि कहां-कहां क्लिक करना है और वह करती जाती. सहेली ने कहा कि अब अगली बार अकेले ही ट्राय करना. सुप्रिया ने सिर हिला कर पीछा छुड़ा लिया. एक दिन जब उसे अचानक दिल्ली जाने की जरूरत पड़ी, तो वह गाड़ी उठा कर एजेंट के पास पहुंच गयी, लेकिन यहां पता चला कि दुकान बंद है.
उसने हर जगह दूसरा एजेंट तलाशा, लेकिन कोई नहीं मिला. थक-हार कर उसने ऑनलाइन टिकट लेने की सोची. धीरे-धीरे उसने सारी स्टेप्स पार कर लिये और उसके पास टिकट इ-मेल में आ गया. वह खुशी से उछल पड़ी, यिप्पी.. मैं कर सकती हूं.. अरे वाह.. अब मुङो किसी एजेंट की जरूरत नहीं. मुङो अब किसी को 100 रुपये नहीं देने होंगे टिकट करवाने के लिए. अब उसका आत्मविश्वास बढ़ गया. अब जब मोबाइल का बिल आया, तो उसने इसे भी खुद ही इंटरनेट से भरने की कोशिश की. उसने वह काम भी बड़ी आसानी से कर लिया. अब सुप्रिया घर के अधिकांश काम इंटरनेट से ही कर लेती है और सोचती रहती है कि काश ये सारी चीजें वह पहले ही सीख लेती, तो इतने दिन परेशान नहीं रहना पड़ता.
बात पते की..
किसी भी काम को देख कर घबराएं नहीं. दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जो आप सीख नहीं सकते. बस एक बार ठान लें और प्रयास में जुट जाएं.
सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. आखिर कब तक आप दूसरों पर निर्भर रहेंगे. एक बार सीखने की कोशिश तो करें, आप सफल जरूर होंगे.