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नगर निकाय चुनाव : जब सिंदूर हटा परचा भरने पहुंची महिला तो….
अजब-गजब: निगम के एक वार्ड से नॉमिनेशन करनेवाले पति-पत्नी की दिलचस्प कहानी रविशंकर उपाध्याय पटना : राजनीति बड़ी बेरहम हो गयी है. इतनी बेरहम कि इसके आगे सात जन्मों के बंधन की गांठ भी ढीली पड़ जाती है और इतनी बेदर्द की रिश्तों की कोई जगह नहीं रह जाती. इसमें दांव-पेंच ही नहीं प्यार-मनुहार की […]
अजब-गजब: निगम के एक वार्ड से नॉमिनेशन करनेवाले पति-पत्नी की दिलचस्प कहानी
रविशंकर उपाध्याय
पटना : राजनीति बड़ी बेरहम हो गयी है. इतनी बेरहम कि इसके आगे सात जन्मों के बंधन की गांठ भी ढीली पड़ जाती है और इतनी बेदर्द की रिश्तों की कोई जगह नहीं रह जाती. इसमें दांव-पेंच ही नहीं प्यार-मनुहार की भी गुंजाइश नहीं रह जाती है. लेकिन इसी राजनीति के बेदर्द रंगों के बीच अंतत: प्यार भारी पड़ गया. जिस पति के खिलाफ परचा भरने के लिए पत्नी अपने सिंदूर को हटा कर चली आयी थी. सात दिनों में पति ने उसका दिल जीत लिया, तो वह पुन: सुहागन बन गयी. उसने पति के खिलाफ नाम वापस ले लिया और पूरी ताकत से चुनाव में पति को जिताने का संकल्प लेकर गयी.
पटना नगर निगम के चुनाव में रिश्तों के अजब-गजब रंग नामांकन से लेकर नाम वापसी के दौरान दिखाई दिये हैं. निगम के एक वार्ड से एक महिला ने नामांकन के वक्त खुद को पत्नी कहलाना भी गंवारा नहीं किया और सुहागन बनने की निशानी भी हटा दी थी. अंतत: नाम वापसी के अंतिम दिन वह पति के साथ सुहागन बन कर हाजिर हुई. नामांकन दर्ज करनेवाले और नाम वापसी लेनेवाले उप निर्वाची पदाधिकारी अशोक कुमार कहते हैं कि जब पत्नी नामांकन करने आयी थी, तो दोनों की भाव भंगिमा को देख कर यह लग रहा था कि वे झगड़ा कर के पहुंचे थे. दोनों अगल-बगल में बैठे थे लेकिन एक दूसरे के खिलाफ गुस्से से भरे हुए थे.
उनके प्रस्तावकों ने यह बताया था कि पत्नी ने इसी के कारण अपनी मांग के सिंदूर को भी हटा दिया था और किसी शृंगार के बगैर वहां पहुंची थी. मंगलवार को उनका गुस्सा खत्म हुआ और उन्होंने पत्नी की भूमिका में पहुंच कर नाम वापस ले लिया. यह दृश्य देख कर विकास भवन में चुनाव कर्मचारी भी हक्के-बक्के रह गये.
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