18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चेतना को सूक्ष्म बनाता है योग

मन बड़ा ही चंचल होता है. यह खुशी और गम दोनों का कारण होता है. मन अगर शांत हो, तो बड़े काम भी बोझ नहीं लगते, वहीं मन बेचैन हो, तो छोटी-छोटी बातों पर भी झुंझलाहट साफ देखने को मिल जाती है. इस मन को सुकून पहुंचाने के लिए योग अच्छा साधन हो सकता है. […]

मन बड़ा ही चंचल होता है. यह खुशी और गम दोनों का कारण होता है. मन अगर शांत हो, तो बड़े काम भी बोझ नहीं लगते, वहीं मन बेचैन हो, तो छोटी-छोटी बातों पर भी झुंझलाहट साफ देखने को मिल जाती है. इस मन को सुकून पहुंचाने के लिए योग अच्छा साधन हो सकता है.

हमारे मन का जो वर्त्तमान है, वह एकाग्र स्वरूप नहीं है. लोग पूछते हैं, मन को कैसे नियंत्रित किया जाये? आदिकाल से यह प्रश्न किया जाता रहा है. अजरुन गीता में श्रीकृष्ण से पूछता है कि मन को कैसे नियंत्रित किया जाये? हवा को बांधना सरल है, लेकिन मन को अपने वश में करना सरल नहीं. मन के बारे में अपनी परम्परा एवं संस्कृति में जो भी विचार आये हैं, उन सभी का एक ही निष्कर्ष है कि मन को समझते हुए, मन की विभिन्न आवश्यकताओं को अपने नियंत्रण में करते हुए, विवेक और वैराग्य द्वारा जीवन में सुख-शान्ति प्राप्त करना. गीता में भगवान श्रीकृष्ण समझाते हैं कि व्यक्ति का संबंध किसी वस्तु या विषय के साथ इतना गहरा हो जाता है कि उसकी चाह में वह सब कुछ भूल जाता है. उसके प्राप्त न होने पर वह उत्तेजित हो जाता है, क्रोधित हो जाता है. साथ से कामना की उत्पत्ति होती है और कामना के पूरा न होने पर क्रोध और उत्तेजना से ग्रसित हो जाता है. यह उत्तेजना और क्रोध व्यक्ति को मोहग्रस्त और आसक्त बना देता है जिस कारण वह सब कुछ भूलने लगता है. मूढ़ता की अवस्था में उसे कुछ भी ख्याल नहीं रहता. स्मरण शक्ति का ह्रास, उचित और अनुचित के बीच के फर्क मिटा देता है. व्यक्ति को जब उचित-अनुचित का ख्याल नहीं रहता, तो उसका यही अर्थ होता है कि उसकी बुद्धि का नाश हो गया.

एक बार जब बुद्धि का नाश हो जाये, तो समङिाये कि व्यक्ति मृत हो गया. भागवान श्री कृष्ण ने जो सूत्र बतलाया है, उससे यह स्पष्ट है कि मन को व्यवस्थित करने की शिक्षा जान लेना योग का एक अनिवार्य अंग है. जिन लोगों का योग से संबध शरीर को स्वस्थ रखने के लिए है, उन्हें बहिरंग योग और जो योग मन को सुकून पहुंचाने के लिए किया जाये, उसे अंतरंग योग कहा गया है.

बहिरंग योग में आसन, प्राणायाम, यम, नियम आदि आते हैं, जिनसे प्राणों को व्यवस्थित किया जाता है. अंतरंग योग में प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, जप, मंत्र आदि विभिन्न प्रकार के योग आते हैं, जो व्यक्ति की सजगता को विकसित करते हुए उसकी चेतना को सूक्ष्म बनाते हैं. आसन, प्राणायाम, योग निद्रा, ध्यान आदि योग की प्रारंभिक शिक्षा है, जो शरीर और मन के क्रमिक सूक्ष्म रूपान्तरण के लिए आवश्यक है, लेकिन प्रारंभिक अभ्यास के बाद योगाभ्यास का एक विशेष प्रायोजन होना चाहिए, और वह है प्राणोत्थान.

स्वामी निरंजनानंद सरस्वती

योगविद्या

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें