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अमेरिकी सेना में अब सैनिक पहन सकेंगे पगडी और हिजाब, रख सकेंगे दाढी

वाशिंगटन : अमेरिकी सेना के जवान अब पगडी और दाढी रख सकेंगे. इतना ही नहीं सेना में हिजाब पहनने को भी मंजूरी मिली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सेना ने खुद को अल्पसंख्यक धर्मों और संस्कृतियों के संदर्भ में अधिक समावेशी बनाया है और हाल ही में एक नया नियमन जारी किया है. इस नियमन […]

वाशिंगटन : अमेरिकी सेना के जवान अब पगडी और दाढी रख सकेंगे. इतना ही नहीं सेना में हिजाब पहनने को भी मंजूरी मिली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सेना ने खुद को अल्पसंख्यक धर्मों और संस्कृतियों के संदर्भ में अधिक समावेशी बनाया है और हाल ही में एक नया नियमन जारी किया है.

इस नियमन के जरिए सेना ने पगडी, हिजाब पहनने वाले या दाढी रखने वाले लोगों को सेना में भर्ती होने की मंजूरी दे दी है. सैन्य सचिव एरिक फैनिंग की ओर से जारी किए गए ये नए नियम ब्रिगेड स्तर पर धार्मिक पहचानों को समाहित करने की मंजूरी देते हैं. इससे पहले यह मंजूरी सचिव स्तर तक के लिए थी. इस मंजूरी के बाद हुआ बदलाव यह सुनिश्चित करेगा कि धार्मिक पहचान का समावेश स्थायी हो और अमेरिकी सेना में अधिकतर पदों पर लागू हो.

कांग्रेस सदस्य जो क्राउले ने अमेरिकी सैन्य सचिव की ओर से जारी निर्देश का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘यह न सिर्फ सिख अमेरिकी समुदाय के लिए, बल्कि हमारे देश की सेना के लिए एक बडी प्रगति है. सिख-अमेरिकी इस देश से प्यार करते हैं और हमारे देश में सेवा का उचित अवसर चाहते हैं. आज की घोषणा ऐसा करने में मददगार साबित होगी.’ क्राउले ने कहा, ‘‘हम एक मजबूत सेना से लैस मजबूत देश हैं क्योंकि हम धार्मिक एवं निजी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं.’ सिख-अमेरिकियों और अमेरिकी सांसदों ने इस कदम का स्वागत किया है. ये लोग पिछले कई साल से इस संदर्भ में चल रहे राष्ट्रीय अभियान के अगुवा रहे हैं. अमेरिकी सेना की ओर से तीन जनवरी को घोषित इन बदलावों से पहले सिख अमेरिकियों और अन्य को अपने धर्म से जुडी चीजों को अपने साथ रखते हुए सेना में सेवा देने की अनुमति सीमित थी. ये समावेश स्थायी नहीं थे और हर नियत कार्य के बाद इसकी एक तरह से समीक्षा की जाती थी.

सेवाकर्मियों को तब तक के लिए अपने धर्म से संबंधित पहचानें हटानी भी पडती थीं, जब तक उनका इन पहचानों के साथ काम करने का अनुरोध स्वीकार नहीं होता था. ऐसे एक अभियान के अगुवा रहे सिख-अमेरिकी गठबंधन ने इस कदम का स्वागत किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह उनकी ओर से की जा रही मांग की तुलना में कम है. इस संगठन की विधि निदेशक हरसिमरन कौर ने कहा, ‘‘हम अब भी नीति में एक स्थायी बदलाव चाहते हैं, जो सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को स्वतंत्र तरीके से सेवा देने की अनुमति दे. हम इस नई नीति के जरिए हमारे देश के सबसे बडे नियोक्ता की ओर से धार्मिक सहिष्णुता एवं विविधता की दिशा में दिखाई गई इस प्रगति से खुश हैं.’

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