पश्चिम बंगाल में बृंदाबनपुर की एक मज़दूर महिला बताती हैं, “एक किलोग्राम चावल के बदले मुझे आलू, चीनी और नमक मिल गया.”
एक दूसरी महिला ने बताया, “एक किलोग्राम चावल के बदले मुझे आलू और सरसों का तेल मिल गया. बच्चे के लिए बिस्कुट चाहती थीं, वो नहीं मिला.”
अलग अलग घर परिवार की ज़रूरतें अलग अलग होती हैं. लेकिन सबका काम चल रहा है.
बिपक तारिणी बागदी बताती हैं, “जीवन में नोटों का ऐसा संकट पहले कभी नहीं देखा. काम के बदले पैसे की जगह किसान हमें दो किलोग्राम चावल देते हैं. एक किलोग्राम घर के लिए रख लेते हैं जबकि एक किलोग्राम से दुकान से सामान बदल लेते हैं.”