रांची: असम राइफल्स की 44वीं बटालियन में हवलदार धुर्वा निवासी कामता कुमार महतो का पार्थिव शरीर मंगलवार को एयर इंडिया के विमान से रांची लाया गया. एयरपोर्ट पर पार्थिव शरीर लेने के लिए कामता के चचेरे ससुर त्रिवेणी महतो और मुहल्ले के दर्जनों लोग पहुंचे थे. पार्थिव शरीर के साथ सूबेदार सुरेश चंद्र भी पहुंचे. एयरपोर्ट पर कामता कुमार को सेना के महार रेजिमेंट के सूबेदार रतन चंद्र के नेतृत्व में जवानों ने सलामी दी.
उसके बाद पार्थिव शरीर उसका ससुराल ले जाया गया. शव पहुंचते वहां लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. सभी की आंखें नम थीं. अंतिम दर्शन के बाद शव उनके आवास पर ले जाया गया, जहां हजारों लोगों ने नम आंखों से उनका अंतिम दर्शन किया. शहीद का अंतिम संस्कार सीठिओ में किया गया.
पत्नी हो रही थी बेहोश
शहीद का पार्थिव शरीर आते ही घर की माहौल गमगीन हो गया. पत्नी पूनम देवी बार-बार बेहोश हो रही थी. वह बार-बार कह रही थी. अब बच्चों को कौन देखेगा. मां सरस्वती देवी भी जमीन बेसुध पड़ी हुई थी. लोग किसी तरह उन्हें संभालने में लगे हुए थे. दोनों पुत्र अर्पित राज (सात वर्ष) व आदित्य राज (तीन वर्ष) वहां मौजूद लोगों को चुपचाप देख रहे थे. अर्पित पिता का शव देख पापा-पापा कह रहा था.
मेरी बहू को नौकरी मिले: पिता
शहीद कामता के पिता रघुवंश महतो कह रहे थे..मेरे ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है. उन्होंने उपायुक्त से शहीद के परिजनों के लिए जीवन यापन भत्ता की गुहार लगायी है. उन्होंने शहीद जवान की विधवा को रांची में ही तत्काल सरकारी नौकरी की व्यवस्था करने, दोनों बच्चे के लिए नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने, झारखंड सरकार द्वारा शहीदों को जो सुविधाएं देने, एचइसी परिसर में निर्मित मकान को स्थायी करने, मृतक को शहीद का दरजा देते हुए एक चौक का नामकरण करने और मुआवजा राशि का भुगतान करने की मांग की.
देश ने महान सपूत खो दिया : सूबेदार सुरेश
कामता महतो के पार्थिव शरीर के साथ मणिपुर से आये असम राइफल्स की 44 वीं बटालियन के सूबेदार सुरेश चंद्र ने कहा कि वह पिछले नौ वर्षो से कामता कुमार महतो के साथ थे. वह मृदुभाषी व होनहार था. देश ने एक सच्चे सपूत को खो दिया. हमें इसका हमेशा अफसोस रहेगा.
परिजनों से मिले रामटहल
भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य सह पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने मणिपुर में उग्रवादी हमले में शहीद हुए कामता कुमार महतो के परिजनों से मिल कर शोक संवेदना व्यक्त की. श्री चौधरी ने कहा कि हमारे देश में शहीदों का सम्मान किये जाने की परंपरा रही है. परंतु झारखंड सरकार की संवेदनहीनता की यह पराकाष्ठा है कि सरकार का कोई भी मंत्री या प्रशासनिक अधिकारी शहीद के परिजनों से नहीं मिलने पहुंचा. श्री चौधरी ने सरकार से शहीद के परिजनों को उचित मुआवजा और उनकी पत्नी एवं बच्चों की परवरिश की उचित व्यवस्था कराने का आग्रह किया है.