टोेरंटो : आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि मरीज को बचाने के लिए नया खून चढाना बेहतर रहता है लेकिन एक नए अध्ययन में इस धारणा से विपरीत निष्कर्ष निकाले गए हैं. यह अध्ययन कहता है कि मरीजों को चढाने के लिए नए खून का इस्तेमाल पुराने खून के इस्तेमाल की तुलना में मरीजों के बचने के मामलों की संख्या को बढाता नहीं है.
यह अध्ययन चार देशों के छह अस्पतालोंमें लगभग 31,500 मरीजों पर किया गया. इसमें दिखाया गया कि एकदम ताजा लिए गए खून को चढाने से अस्पताल में मरने वाले मरीजों की संख्या में कमी नहीं आयी.
अध्ययन की प्रमुख लेखिका और कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय में कार्यरत नैंसी हेडले ने कहा, ‘‘यह एक विवादित मुद्दा रहा है लेकिन हमारे अध्ययन ने अंतत: इस सवाल का जवाब दे दिया है कि क्या संग्रहित खून हानिकारक हो सकता है और ताजा खून अच्छा होगा?’ नैंसी ने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन इस बात का मजबूत साक्ष्य उपलब्ध करवाता है कि ताजा खून चढाने से मरीजों से जुड़े नतीजे बेहतर नहीं होते और ये बातें चिकित्सा क्षेत्र के लोगों को बतायी जानी चाहिए कि ऐसा नहीं है कि नया खून ज्यादा अच्छा है.’ उन्होंने कहा कि ये नतीजे रक्त आपूर्तिकर्ताओं के लिए भी अच्छी खबर हैं क्योंकि संग्रहित रक्त यह सुनिश्चित कराने में मदद करता है कि मरीज को जरूरत पड़ने पर खून उपलब्ध हो.
इस अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इस्राइल और अमेरिका के व्यस्क मरीजों को शामिल किया गया. जिन मरीजों को ताजा खून चढाया गया, उनमें मृत्युदर 9.1 प्रतिशत थी जबकि जिन मरीजों को पुराना खून चढाया गया, उनमें मृत्युदर 8.7 प्रतिशत थी.
मैकमास्टर के जॉन ईकेलबूम ने कहा कि इससे पहले प्रकाशित हो चुके 40 से ज्यादा अध्ययन इस सवाल का जवाब देने में विफल रहे हैं कि क्या ताजा खून ज्यादा अच्छा होता है? यह अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है.