कौशलेंद्र रमण
बहुत से लोग टेंशन फ्री जीवन चाहते हैं. लाइफ में थोड़ी-सी भी समस्या आने पर कहने लगते हैं – हमारे जीवन में चैन तो है ही नहीं. ऐसे लोगों से जब पूछा जाता है कि जीवन में वह किस तरह के चैन की चाहत रखते हैं, तो इसका वह सटीक जवाब नहीं दे पाते हैं. ऐसे ही लोगों की श्रेणी में आती हैं श्रीमती मालती कुमार.
उनके घर में अगर किसी को साधारण सर्दी भी हो जाये, तो उनका चैन छिन जाता है. दस मिनट के लिए बिजली चली जाती है, तो सोसायटी के कई घरों में फोन कर अपनी बेचैनी बयान करने लगती हैं. एक दिन उनके पंद्रह साल के बेटे ने उनसे पूछा – मां किस तरह की समस्याएं आपका चैन छीन लेती हैं. बेटे का सवाल सुन कर श्रीमती कुमार ने उसकी तरफ गुस्से से देखा, तो बेटे ने समझाते हुए कहा, मैं इसलिए पूछ रहा हूं कि वैसी समस्याओं को आपके सामने आने से रोक सकूं. इससे आपका बीपी भी कंट्रोल में रहेगा. आप मेरा कितना ख्याल रखती हैं.
मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है. बेटे की बात सुन कर मुस्कुराते हुए श्रीमती कुमार ने कहा, मैं चाहती हूं कि हर काम अपने निर्धारित समय पर हो. किसी को सर्दी-बुखार तक न हो. न कभी बिजली जाये और बरसात में न कभी पानी जमा हो. इतना कहने के बाद वह चुप हो गयीं. इस पर उनके बेटे ने पूछा – और क्या चाहती हैं? इस सवाल पर कुछ देर तक चुप रहने के बाद वह बोलीं, मैं चाहती हूं कि जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आये. श्रीमती कुमार के इस बात के बाद उनके बेटे ने कहा, मां क्या ऐसा संभव है? गैस खत्म होना, चूल्हे का बर्नर जाम होना और बल्ब फ्यूज होना भी एक समस्या है. क्या इसे भी आप रोक सकती हैं?
उनके नहीं कहने पर बेटे ने कहा – तो आप छोटी-छोटी समस्याओं पर अपना बीपी क्यों बढ़ा लेती हैं? विवेकानंद ने कहा था – जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं. बेटे की बात पर श्रीमती कुमार सोच में पड़ गयीं.
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