अनंत चतुर्दशी 15 सितंबर यानी गुरुवार को मनायी जायेगी. इस दिन सुबह से दोपहर 12 बजे तक पूजा-अर्चना का शुभ मुहुर्त है. भाद्र महीना के शुक्ल चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता है. इस पर्व की महिमा अनंत है. पंडितों के मुताबिक अनंत भगवान श्रीकृष्ण के ही रूप हैं, ब्रह्म हैं. अनंत अर्थात जिस वस्तु का कभी अंत हो. अनंत भगवान का पूजनोत्सव उस निराकार भगवान का पूजनोत्सव है, जो सर्वव्यापी है. जिसका कभी आदि है अंत है. ऐसा स्कंद पुराण, भविष्य पुराण ब्रह्म पुराण में वर्णित है.
देवताओं ने भी किया था अनंत का व्रत : यह पर्व भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को मनाई जाती है. राजकुमार पांडे के अनुसार अनंत भगवान का पूजन तथा व्रत की महिमा बहुत ही विशिष्ट है.
युधिष्ठिर जब दुर्योधन द्वारा जुए में पराजित हो गए तब द्रौपदी एवं अन्य भाइयों के साथ 12 वर्ष तक उन्हें वनवास का कष्ट भोगना पड़ा था. जब वे वनवास का कष्ट भुगत रहे थे, उसी समय भगवान श्रीकृष्ण वहां पहुंचे. पूछने पर युधिष्ठिर को कहा, राजन संपूर्ण पापों का नाश करने वाला कल्याण कारक तथा सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला एकमात्र व्रत है अनंत चतुर्दशी, तो इसके बाद पांडवों ने यह व्रत किया.
कैसे करें पूजा
सुबह स्नानादि से निवृत होकर पूजा की तैयारी करें
पंचदेव पूजन के बाद विष्णु जी की षोडशोपचार पूजा करें
अनंत के धागे को पंचामृत में डुबा कर बांह में बाधें
कथा सुनकर प्रसाद ग्रहण करें