इस साल होनेवाले आम चुनाव को देखते हुए देश के कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने स्मार्टफोन के प्लेटफॉर्म पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्शाने की योजना बना ली है. स्मार्टफोन बहुत जल्द ही भारतीय राजनीति के अखाड़े में तब्दील होनेवाला है.
भारत में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करनेवाले लोगों की संख्या अभी भी अमेरिका या दूसरे पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है, लेकिन यह बाजार ही नहीं, राजनीति का भी अखाड़ा बन गया है. जानकार बताते हैं कि आनेवाला समय स्मार्टफोन, यानी एक तरह से हाथों में मौजूद रहनेवाले छोटे कंप्यूटर का है. स्मार्टफोन के इस भविष्य को देखते हुए बाजार स्मार्टफोन के प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति को मजबूती से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन, अगर आपको यह लगता है कि स्मार्टफोन की इस ताकत को सिर्फ बाजार ने पहचाना है, तो हम आपको बता दें, कि स्मार्टफोन बहुत जल्द ही भारतीय राजनीति के अखाड़े में तब्दील होनेवाला है.
इस साल होनेवाले आम चुनाव को देखते हुए देश के कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने स्मार्टफोन के प्लेटफॉर्म पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्शाने की योजना बना ली है. इसकी शुरुआत की आम आदमी पार्टी ने और अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी इस दिशा में बड़ी पहल करती दिख रही हैं.
हालांकि यह एक तथ्य है कि भारत में सिर्फ 10 फीसदी मतदाता स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावशाली वर्ग होने के कारण राजनीतिक पार्टियां इनकी ओर काफी ध्यान दे रही हैं.
स्मार्टफोन को राजनीतिक रंग से रंगने के लिए प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने खास एप्लिकेशंस लांच किया है. भाजपा ने इसके लिए ‘इंडिया 272+’ एप्लिकेशन लांच किया, तो आम आदमी पार्टी अपने पुराने एप्लिकेशन में सुधार कर रही है. वह ‘आम आदमी पार्टी’, ‘आप की आवाज’ और ‘आपके साथ’ नामक एप्लिकेशन लांच कर चुकी है. इसके साथ ‘आप न्यूज’, और अरविंद केजरीवाल’ एप्लिकेशन भी बाजार में मौजूद हैं. कांग्रेस भी जनता के साथ संवाद करने के लिए स्मार्टफोन के लिए खास एप्लिकेशन का विकास करने की दिशा में काम कर रही है.
खबरों के मुताबिक उसके एक अनाधिकारिक एप्लिकेशन का नाम ‘विद कांग्रेस’ होगा. पार्टी के आधिकारिक एप्लिकेशन में चुनाव संबंधी आंकड़े, उम्मीदवारों का प्रोफाइल और लोकसभा के इतिहास के बारे में बताया जायेगा. इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के मुताबिक जानकारों का मानना है कि इससे पार्टियां यह तो दिखा ही पायेंगी कि वे टेक्नों सेवी हैं, इसके साथ ही यह एक ऐसे मंच का भी काम करेगा, जिसके सहारे नये कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को पार्टी से जोड़ा जा सकेगा. साथ ही यह कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करने और उनके साथ सूचनाएं साझा करने का मंच भी बनेगा. वास्तव में इसे देश में तेजी से उभर रही नयी पीढ़ी के साथ संवाद करने की राजनीतिक पार्टियों की व्याकुलता के साथ जोड़ कर देखा जा सकता है.
इसके पीछे यह सामाजिक सच्चई भी छिपी है कि आज भारत की एक बड़ी आबादी अपना काफी वक्त स्मार्टफोन पर बिताती है और वही उसका नया समाज है. देश में तेजी से बढ़ रहे शहरी मध्यवर्ग को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों के इस अभियान की अहमियत को समझा जा सकता है.
हालांकि राजनीतिक पार्टियां इस प्लेटफॉर्म की अहमियत आज समझ पा रही हों, लेकिन बाजार में राजनीतिक पार्टियों को ध्यान में रख कर बनाये गये एप्लिकेशन काफी लंबे वक्त से मौजूद हैं. पिछले साल डिजिटल मीडिया में ‘मोदी रन’ और ‘आम रन’ जैसे कई एप्लिकेशन लांच किये गये थे.