यदि खेल के नज़रिए से देखा जाए तो रियो 2016 को सफल ओलंपिक माना जा सकता है लेकिन मेजबान ब्राज़ील के कितने लोग रियो ओलंपिक से ख़ुद को जोड़ पाए, आयोजन का हिस्सा मान पाए. यह तय करना मुश्किल है.
सच कहा जाए तो दो साल में ये दूसरा मौका है जब ब्राज़ील ने एक अहम अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर देश का सफल प्रतिनिधित्व किया है.
रियो में स्थानीय रूप से प्रचलित खेल जैसे फुटबॉल और वॉलीवॉल के मुकाबले तो खूब देखे जा रहे हैं. इसके अलावा वे खेल देखे जा रहे हैं जिनके टिकट नहीं लग रहे. ऐसी जगहों पर लोगों का जमावड़ा खूब देखने को मिल रहा है.
लेकिन कई ऐसी वजहें हैं जिनके कारण यहां के लोग ओलंपिक खेलों से दूर रह गए हैं.
रियो में खेलों के लिए जो जगहें चुनी गई थीं वो आबादी वाली जगहों से दूर थे. खेल वेन्यू के दूर होने के कारण स्थानीय लोग खेल के मैदान तक नहीं पहुंचे.
ब्राज़ील में हॉकी, रग्बी या बैडमिंटन जैसे खेल प्रचलित नहीं है. इसलिए इन खेलों के मुकाबलों में यहां के लोगों ने वैसी दिलचस्पी नहीं दिखाई.
स्थानीय नागरिकों ने कई बार टिकटों के महंगे होने के आरोप लगाए. उनका कहना है कि सबसे लोकप्रिय इवेंट के टिकट 900 रियाल यानी 280 डॉलर में बिके हैं. इतनी तो एक व्यक्ति की एक महीने की पगार होगी.
तो दूसरी ओर रियो ओलंपिक देखने आए दर्शकों का कहना है कि ब्राज़ील में कई तरह की परेशानियां हैं.
ग्वानाबारा खाड़ी में नौकायन की प्रतियोगिता हुई. यहां पीने के पानी से लेकर ज़ीका वायरस और परिवहन तक की समस्याएं हैं. इनके कारण यहां आने वाले मेहमान से लेकर स्थानीय लोग तक दुखी थे.
खाड़ी में हुई नौकायन प्रतियोगिता में कई खिलाड़ियों ने प्लास्टिक बैग और गंदगी होने की शिकायत की. इसके कारण खिलाड़ियों को प्रतियोगिता के दौरान समस्या का सामना करना पड़ा.
बेल्जियम के कोच विल वान ब्लादेन ने बताया कि उनकी एक खिलाड़ी एवी वान एक्केन मेडल जीतने से इसलिए चूक गईं क्योंकि ख़राब पानी की वजह से उसकी तबियत ख़राब हो गई.
उनका आरोप है कि शहर की गंदगी के कारण ऐसा हुआ.
रियो में शांति रखने और लूट-पाट की घटनाओं से दर्शकों और मेहमानों को बचाने के लिए सड़क पर जगह जगह 85000 सैन्य दस्ते उतारे गए थे. ख़ासकर पर्यटक स्थलों और खेल स्थानों पर.
ओलंपिक समिति के कम्युनिकेशन डायरेक्टर मार्क एडम्स का कहना है कि रियो चुनने का हमें कोई पछतावा नहीं है.
पिछले दो हफ्तों में ऐसा लगा कि ब्राज़ील के लोग अपने देश की बड़ी-बड़ी समस्याओं को भूल गए हैं. उन्हें इस बात का भी आभास नहीं कि आने वाले महीने में होने वाले पाराओलंपिक के लिए देश में पैसे की कमी है.
ब्राज़ील कुछ समय तक किसी भी विश्व स्तरीय आयोजन की मेजबानी से दूर रहेगा.
इस बार ओलंपिक में सौ से भी अधिक विश्व और ओलंपिक रिकॉर्ड टूटे हैं.
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