
एक इंसान के लिए डेढ़ दशक से भी ज्यादा के भूख हड़ताल के बाद सामान्य खाने-पीने की रूटीन पर लौटने में कितना वक़्त लगता है?
16 सालों से भूख हड़ताल पर रहीं इरोम शर्मिला के मामले में डॉक्टरों का कहना है कि इरोम को फिर से सामान्य तरीके से खाने-पीने में चार से छह हफ़्ते लग सकते हैं.
इरोम के भूख हड़ताल को दुनिया का सबसे लंबा भूख हड़ताल बताया जा रहा है.
44 साल की इरोम विवादित अफ़्सपा क़ानून के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल कर रही थी. मंगलवार को उन्होंने प्रतिकात्मक रूप से शहद चाट कर अपनी भूख हड़ताल तोड़ी और राजनीति में प्रवेश करने की इच्छा ज़ाहिर की.
लंबे समय से भूख हड़ताल करने की वजह से उन्हें मणिपुर की राजधानी इंफाल के एक अस्पताल में हिरासत में रखा गया था जहां वो हर वक़्त सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों और डॉक्टरों की एक टीम से घिरी रहती थीं.
आत्महत्या की कोशिश के एवज में एक साल की सज़ा पूरी करने के बाद पुलिस उन्हें तुरंत फिर से गिरफ़्तार कर लेती थी.

नर्सों की टीम उन्हें जबरदस्ती नाक में लगी नली से तरल भोजन देती थीं. नली से खाना देने के कारण शरीर में पानी की मात्रा और वज़न को कम होने से रोका जा सकता है.
डाक्टरों का कहना है कि लंबे समय से कोमा में पड़े मरीजों और गंभीर रूप से लकवाग्रस्त मरीज़ों को नली से खाना देना तो आम बात है. इन्हें नली से इसलिए खाना दिया जाता है कि क्योंकि वे खाना निगल नहीं सकते हैं.
इरोम को नली से ज़बरदस्ती जो लिक्विड खाना दिया जाता था उसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन का सही संतुलन होता था. उन्हें यह खाना दिन में तीन बार दिया जाता था.
बाद के सालों में तो इसे दो बार दिया जाने लगा था. डॉक्टरों का कहना है कि वे उनके वजन के घटने-बढ़ने के हिसाब से ख़ुराक को कम-ज्यादा किया करते थे.
इरोम का 2006 में एक बार इलाज कर चुके एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है, "आप नाक या सीधे पेट में लिक्विड खाना पहुंचाकर शरीर में खाने का संतुलन बना सकते हैं."
डॉक्टर बताते हैं कि दिन में तीन से चार बार क़रीब 800 से लेकर 1000 मिलीलीटर तक लिक्विड पोषक खाना जिसमें वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट हो, मरीज़ के लिए पर्याप्त होता है.

जो इतने लंबे वक़्ते से खाना ना खाया हो उन्हें फिर से सामान्य खाना खाने की शुरुआत करने से पहले सावधानी बरतनी होगी.
डॉक्टर गुलेरिया का कहना, "इरोम को धीरे-धीरे खाना खाने की शुरुआत करनी होगी. चूंकि उन्होंने खाने के लिए लंबे समय से मुंह का इस्तेमाल नहीं किया है तो हो सकता है कि उनके चबाने की क्षमता कम हो गई हो. इसलिए उन्हें पहले तरल खाने से शुरुआत करनी चाहिए फिर धीरे-धीरे ठोस खाने पर आना चाहिए."
डॉक्टरों का कहना है कि जल्दी ही ठोस खाना शुरू करने से गैस और एसिडिटी की शिकायत हो सकती है.
डॉक्टर रोमेल टिक्कू का कहना है, "इरोम को अभी न्यूट्रीशनिस्ट की देखरेख में अभी रहना चाहिए. उन्हें अभी मसले हुए आलू, केले और दही जैसी चीजें खानी चाहिए. इससे उनके शरीर में सोडियम और पोटैशियम का स्तर नियंत्रण में रहेगा."
अगर सब सही रहता है तो इरोम फिर से सोयाबिन से बनी अपनी फ़ेवरिट सब्ज़ी दोबारा खा सकेंगी.
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