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गिरोह के नाम नेस्ले, हॉर्लिक्स, बॉर्नविटा

मनीष शांडिल्य पटना से, बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के लिए दस जुलाई की रात पूर्व मंत्री शाहिद अली खान के पटना वाले मकान में चोरी हुई. पटना पुलिस ने जांच में तेजी दिखाई और घटना के चार दिन बाद ही वारदात में कथित रूप से शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के मुताबिक़, […]

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गिरोह के नाम नेस्ले, हॉर्लिक्स, बॉर्नविटा 5

दस जुलाई की रात पूर्व मंत्री शाहिद अली खान के पटना वाले मकान में चोरी हुई. पटना पुलिस ने जांच में तेजी दिखाई और घटना के चार दिन बाद ही वारदात में कथित रूप से शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस के मुताबिक़, इस चोरी को नेस्ले गैंग ने अंजाम दिया था. गैंग का नाम सुन कर अगर आप चौंके होंगे, ऐसे नाम वाला ये अकेला गैंग नहीं है.

दरअसल नेस्ले, बॉर्नविटा, हॉर्लिक्स, धक्का मार जैसे नाम पटना में सक्रिय अपराधिक गिरोहों के हैं. पटना के सीनियर एसपी मनु महाराज बताते हैं, "ऐसे गैंग्स के सदस्यों के नाम भी दिलचस्प हैं. राजधानी के पटना सिटी से लेकर दानापुर तक ये वरदातों को अंजाम देते हैं."

हड्डिया, फुटबॉल, मिर्चइया, कनझप्पा ये कुछ नाम इन गिरोहों के सदस्य के हैं. पुलिस के मुताबिक़, ये गिरोह अपना वर्चस्व दिखाने के लिए आपस में भी उलझते हैं. ये गैंग्स अपने शौक पूरा करने और दबंगई दिखाने के लिए अपराध करते हैं.

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जैसा कि मनु महाराज कहते हैं, "कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें इन गैंग्स के युवाओं ने अपनी गर्ल फ़्रेंड को प्रभावित करने, अपने साथी जैसी मंहगी मोटरसाइकिल खरीदने के लिए क्राइम किया है."

पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि गिरोह से जुड़े कई युवा खाते-पीते घरों के हैं. इन गिरोहों से स्कूल, कॉलेज व अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लड़के भी जुड़े बताए जाते हैं.

पटना के सीनियर एसपी बताते हैं, "ये युवा ऐसे घरों से पाए गए हैं जिन घरों के अभिभावकों का अपने बच्चों पर जरूरी नियंत्रण नहीं रह जाता है. अभिभावक अपने बच्चों को कुछ ज़्यादा ही छूट दे बैठते हैं."

डॉक्टर बिन्दा सिंह पटना की जानी-मानी मनोचिकित्सक हैं. बिन्दा के मुताबिक़, परवरिश, सामाजिक माहौल और हताशा ऐसे युवाओं को अपराध की ओर धकेल रही है.

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युवाओं के इस भटकाव का कारण वह बताती हैं, "आज के युवाओं में धैर्य नहीं है. उनके लाइफ़ स्टाइल में मंहगी चीजों ने खास जगह बना ली है. ये मंहगी सुविधाएं जब उन्हें असानी से मिलती नहीं दिखती तो वे अपने हम उम्र नौजवानों के साथ मिलकर ग़लत रास्ता अपनाते हैं."

वहीं मनु महाराज के मुताबिक़, ये युवा संभवतः टेलीविजन, फिल्म या इंटननेट पर दिखाए जाने वाले स्टंट और दूसरी बातों के असर से ऐसी कोशिशें करते हैं.

पुलिस के लिए चिंता की बात ये भी है कि इन गैंग्स के कई युवा अब शौकिया बदमाश की जगह ‘रिपीट क्रिमिनल‘ और ‘हिस्ट्री शीटर’ बन गए हैं. कुछेक हत्याओं को भी इन गैंग्स ने अंजाम दिया है.

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नेस्ले गैंग से बरामद सामानों में लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रानिक सामान भी मिले.

बिन्दा सिंह का भी कुछ ऐसा ही मनाना है. वो कहती हैं, "ऐसे युवा ‘साइकोपैथ पर्सनालिटी’ के होते हैं और एक बार अपराध की अंधी सुरंग में दाखिल होने के बाद वहां से निकलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है."

हालांकि वो कहती हैं कि ऐसे युवाओं को भी सुधारा जा सकता है. उन्हें सही रास्ता दिखाने की ज़रूरत है जिसकी पहली जिम्मेवारी उनके परिवारो वालों की बनती है.

मनु महाराज का कहना है, "हम इन पर लगातार निगरानी रख रहे हैं. हमारी कोशिश हैं कि ये मुख्यधारा से जुड़ें और ऐसी हरकतें न करें."

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