
बिहार के बक्सर जिले में महत्वपूर्ण पांडुलिपियाँ जानकारी के अभाव में एक कबाड़ी के यहाँ बेच दी गयीं.

लेकिन संयोगवश राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के सदस्यों की नज़र उनपर पड़ी और उसके बाद उन ऐतिहासिक धरोहरों को वापस लेकर स्थानीय पुस्तकालय को समर्पित कर दिया गया.

बक्सर शहर के एक कबाड़ी की दुकान को बेची गयीं पांडुलिपियों के बारे में मिशन को जानकारी स्थानीय सदस्यों के माध्यम से मिली.

मिशन की टीम ने बक्सर जाकर कबाड़ी की दुकान में पड़ी पांडुलिपियों को अपने कब्जे में लिया. परिक्षण के दौरान पांडुलिपियाँ लगभग 400 साल पुरानी निकलीं.

मिशन के सहायक परियोजना समन्वयक विभाष कुमार के अनुसार जागरूकता के अभाव में घर की सफ़ाई के दौरान पांडुलिपियों को रद्दी कागज़ समझकर चार रुपये प्रति किलो के दर से बेच दिया गया.
बरामद पांडुलिपियाँ धर्म से जुड़े शास्त्र और उसकी व्याख्या समेत प्रचलित साहित्य और व्याकरण पर आधारित थीं.

मिशन के प्रतिनिधियों ने उनका अध्ययन कर उसे बक्सर के सीता राम उपाध्याय संग्रहालय को समर्पित कर दिया है.

विभाष बताते हैं कि करीब राज्य में ढाई लाख पांडुलिपियाँ हैं जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक पांडुलिपियाँ लोगों के घरों में पड़ी हुई हैं.
इन्हें संरक्षित करने के लिये लोगों का सहयोग ज़रूरी है.
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