21.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ऑटोमेशन की बढ़ी रफ्तार : भारत में भी 6.4 लाख जॉब्स खतरे में

आइटी सेवाओं की नौकरियों पर बढ़ रहा रोबोट का कब्जा! अब भारत में भी ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल लेबर के अन्य प्रारूपों के कारण कई तरह के कम-कुशलता वाले जॉब्स पर खतरा मंडरा रहा है. अमेरिकी रिसर्च फर्म ‘एचएफएस’ ने भारत में आगामी पांच वर्षों में आइटी सेवाओं से संबंधित करीब 6.4 लाख जॉब्स […]

आइटी सेवाओं की नौकरियों पर बढ़ रहा रोबोट का कब्जा!

अब भारत में भी ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल लेबर के अन्य प्रारूपों के कारण कई तरह के कम-कुशलता वाले जॉब्स पर खतरा मंडरा रहा है. अमेरिकी रिसर्च फर्म ‘एचएफएस’ ने भारत में आगामी पांच वर्षों में आइटी सेवाओं से संबंधित करीब 6.4 लाख जॉब्स खत्म होने की आशंका जतायी है. हालांकि नयी तकनीकों के सहारे नयी सेवाओं के प्रचलन में आने से भविष्य में कुछ अन्य किस्म के रोजगार पैदा होने की भी उम्मीद जतायी गयी है, जो यह दर्शाता है कि आइटी सेक्टर से जुड़े जॉब्स की प्रवृत्ति में तेजी से बदलाव आ रहा है. इस रिपोर्ट में किस तरह की जतायी गयी है आशंका और क्या हैं उम्मीदें आदि समेत भारत में ऑटोमेशन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता रहा है यह आलेख …

भा रत में करीब ढाई दशक पहले शुरू हुई आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के बाद से आइटी और बीपीओ सेंटर के कारोबार के रूप में रोजगार के नये माैके सृजित होते गये और यह सेक्टर रोजगार के एक बड़े हब के रूप में उभर कर सामने आया. इन सेवाओं में उच्च-कौशल हासिल प्रोफेशनल्स ही नहीं कम योग्यता वाले युवाओं को भी देश-दुनिया में जॉब्स के नये-नये मौके मिलने लगे. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से कई सेवाओं में ऑटोमेशन का दखल बढ़ने लगा और आइटी व बीपीओ सेक्टर भी इससे अछूते नहीं रह गये हैं.

खासकर कम-कौशल युक्त कार्यों पर इसका असर पड़ना शुरू हो गया है. एक अमेरिकी शोध संस्थान का कहना है कि आनेवाले पांच सालों में भारतीय आइटी सर्विसेज इंडस्ट्री से निम्न बौद्धिकता वाली 6.4 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं. ऐसा ही ट्रेंड ब्रिटेन, अमेरिका और फिलीपींस सहित कुछ और देशों में दिख रहा है और वैश्विक स्तर पर करीब 14 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं, यानी इसमें करीब नौ फीसदी की कमी आयेगी. इसी के साथ एक नया टर्म ‘डिजिटल लेबर’ चलन में आ सकता है. इस रिसर्च में पहली बार ठोस आंकड़ों के साथ नौकरियों के लुप्त होने का हिसाब लगाया गया है. हालांकि, उच्च कुशलता वाले कार्यों पर इसका खतरा फिलहाल कम दिख रहा है, लेकिन यदि नौकरियों की संख्या के लिहाज से देखा जाये, तो कम कुशलता वाले जॉब्स का आंकड़ा अपेक्षाकृत ज्यादा है, जो इसके चपेट में आ रहे हैं.

जाहिर है, चीन की तरह भारत में भी अब स्वचालित मशीनों यानी रोबोट आदि का इस्तेमाल बढ़ने और उनके इंटरनेट, नेटवर्किंग और टेक्नोलॉजी के साथ बेहतर गठजोड़ होने से परंपरागत नौकरियों पर संकट के बादल छाने की आशंका गहरी हो रही है. हालांकि, इससे रोजगार के कुछ नये तरह के मौके जेनरेट होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. यह ठीक उसी तरह होगा, जैसे कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स आने के साथ हुआ था. इससे जहां एक ओर पारंपरिक तरीके से निबटाये जानेवाले कार्यों को कंप्यूटर ने खत्म कर दिया, वहीं जॉब्स के अनेक नये मौके मुहैया कराये.

मशीन बनाम मनुष्य

मशीन और मनुष्य के बीच चाहे जैसी भी और जितनी भी प्रतिस्पर्धा रही हो, साइंस और टेक्नोलॉजी का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लाभ जीवनस्तर को अत्याधुनिक बनाने या सुधारने के क्रम में मनुष्य को हमेशा ही मिलता रहा है.

आज इंसान एक बार फिर स्वचालन प्रक्रिया यानी आॅटोमेशन सिस्टम के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर मशीन से ही टकराने के स्थिति मेें आमने-सामने है. विकसित देशों के अतिरिक्त हमारे पड़ोसी देश चीन में प्रौद्योगिकी क्षेत्र से लेकर सर्विस सेक्टर और दूसरे क्षेत्रों में रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. ‘एचएफसी’ ने एक रिसर्च में कहा है कि भारत में इसका असर आइटी और बीपीओ सेक्टर में व्यापक तौर पर पड़नेवाला है.

क्या है आॅटोमेशन

आॅटोमेशन शब्द आॅटोमेटिक से प्रेरित है, जिसका व्यापक रूप से प्रचलन 1947 के बाद तब हुआ, जब जनरल मोटर्स द्वारा एक स्वचालन विभाग की स्थापना की गयी. वैसे 1930 के दशक में ही इसकी सुगबुगाहट होने लगी थी. तब आॅटोमेशन को विभिन्न अर्थों में जाना गया, जिसमें स्वचालित यांत्रिकी, हाइड्रॉलिक, बिजली, इलेक्ट्राॅनिक उपकरण और कंप्यूटर शामिल हो गये. उसके बाद विज्ञान और तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के बाद मशीनों को इंसानी कामकाज की क्षमता के अनुरूप व्यवहारकुशल बनाने का क्रमिक विकास हुआ.

आज इसका एक बड़ा आयाम रोबोटिक्स के रूप में हमारे सामने आ चुका है. मशीनरी, कल-कारखानों के संसाधन, बॉयलर, बड़ी भट्ठियां, टेलीफोन नेटवर्क, जहाजों को संचालित करने और स्थिर करने, विमान सेवा, इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रिक व दवाओं की फैक्ट्रियां और मानवीय हस्तेक्षप कम किये जाने वाले दूसरे क्षेत्रों में स्वचालित उपकरणों का इस्तेमाल ही ऑटोमेशन है. इनसे बड़े पैमाने पर अधिक उत्पादकता को ध्यान में रख कर कार्य लिया जाता है. कुछ प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित होती हैं. इसका सबसे बड़ा लाभ श्रम की बचत है, जबकि इससे ऊर्जा के साथ-साथ अन्य संसाधन भी बचाये जा सकते हैं. साथ ही इससे उत्पाद की गुणवत्ता, सटीकता और परिशुद्धता में सुधार की उम्मीद बनी रहती है.

यानी ऑटोमेशन की अवधारणा मशीनों को बौद्धिक स्तर पर बनाने की है, जिन्हें इंटेलिजेंट साॅफ्टवेयर के जरिये संपूर्णता प्रदान की जाती है. इसका दायरा विभिन्न क्षेत्रों की बड़ी कंपनियों से लेकर छोटी इकाइयों तक बन चुकी है, जिसमें कंस्ट्रक्शन, माइनिंग, केमिकल, फार्मास्युटिकल, सिक्योरिटी, फायर डिटेक्शन, एंटरटेनमेंट, स्टील, पावर जेनरेशन एंड ट्रांसमिशन, एजुकेशन, लाइटिंग के अतिरिक्त सिक्योरिटी, ऑयल एंड गैस जैसे क्षेत्र हैं. इनमें आॅटोमेशन की दर में सालाना 12 से 14 फीसदी की दर से विकास हो रहा है.

आयेंगी नये तरह की नौकरियां

हालांकि, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करनेवाले निकाय नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नेसकॉम) का कहना है कि आगामी कुछ वर्षों के दौरान नयी टेक्नोलॉजी से नये रोजगार भी पैदा होंगे, जो पहले से ज्यादा भी हो सकते हैं. इस सिलसिले में प्रतिभा को आगे लाने का ध्यान व्यावहारिकता वाले बौद्धिकता पर होगा, न कि उसकी शैक्षणिक योग्यता को ही पैमाना बनाया जायेगा. एचएफसी की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि निम्न बौद्धिकता वाली नौकरियों में अगर 30 फीसदी की कमी आयेगी, तो मध्यम स्तर की बौद्धिकता वाली नौकरियों में आठ फीसदी और उच्च बौद्धिकता की नौकरियों में 56 फीसदी की बढ़ोतरी भी होगी.

परंपरागत नौकरियां खत्म हो जायेंगी, तो नये दौर की टेक्नोलॉजी आधारित नौकरियां आयेंगी, जो निम्न, मध्यम और उच्च स्तर की बौद्धिक क्षमता व योग्यता की हो सकती हैं. इसे ऑटोमेशन इंजीनियरिंग के अंतर्गत मिलनेवाली नौकरियां कह सकते हैं, जिसमें कंप्यूटर साइंस, आइटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मेकेनिकल, केमिकल इंजीनियरिंग शामिल होंगी. यह संसाधित ज्ञान, तार्किक सिद्धांत, साॅफ्टवेयर्स और उपकरणों की देखभाल के सिद्धांतों के साथ उसके व्यावहारिक प्रारूप पर आधारित है.

विभिन्न बौद्धिकता वाली नौकरियां

निम्न बौद्धिकता वाली नौकरियां वे होती हैं, जिनमें एक तय प्रक्रिया अपनायी जाती है और उसे ही बार-बार दोहराया जाता है. इसके लिए उच्च शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं होती है. यह ठीक दरवाजा खोलने और बंद करनेवाले किसी दरबान या कॉफी मेकर से कॉफी का प्याला लेकर संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाने-लाने जैसा ही है. मध्यम स्तर की बौद्धिकता में व्यक्ति को स्वविवेक से फैसला लेने जैसा चुनौतीपूर्ण काम करना होता है. जबकि उच्च बौद्धिकता वाली नौकरियों में समस्या का समाधान निकालने, रचनात्मक तरीके अपनाने, विश्लेषण करने और रणनीतिक सोच के साथ तत्परता बरतने की जरूरत होती है. इनके संबंध में एचएफसी रिसर्च के सीइओ फिल फस्ट ने टिप्पणी की है कि आॅटोमेशन के जरिये सबसे ज्यादा रूटीन और निम्न स्तर की नौकरियां ही खत्म होंगी.

मुनाफे की मार्जिन

भारत में आइटी-बीपीओ इंडस्ट्री में करीब 37 लाख कर्मचारी हैं, जिन पर आॅटोमेशन का असर पड़ सकता है. पांच श्रेष्ठ कंपनियों- टीसीएल, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इन्फोसिस और कॉग्निजेंट के आंकड़ों का विश्लेषण करनेवाली ब्रोकरेज फर्म ‘सेंट्रम ब्रोकिंग’ के अनुसार, उनमें आॅटोमेशन के तेजी से बढ़ते उपयोग की वजह से वर्ष 2015 में नौकरियों में बड़े पैमाने पर कटौती कर दी गयी.

इसकी मूल वजह उनके द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना है. ऐसा कर कंपनियां, जहां मैनुअल परेशानियों का समाधान निकाल चुकी हैं, वहीं वेतन के खर्च का बोझ कम कर मुनाफे की मर्जिन बढ़ाने का इंतजाम भी कर चुकी हैं. हालांकि, इसका फायदा ग्राहकों को कितना मिलेगा, यह आनेवाला समय बतायेगा, फिर भी इस सिलसिले में एक सकारात्मक उम्मीद बनी है.

रिपोर्ट के अनुसार, आइटी कंपनियां अपने संसाधनों को बचाने के क्रम में बेकार के दोहराये जानेवाले कार्यों को निपटाने के लिए ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालित उपकरणों का इस्तेमाल करने लगी हैं. इन्फोसिस के सीइओ और प्रबंध निदेशक विशाल सिक्का इसे जरूरी बताते हैं. उनका कहना है कि आॅटोमेशन की दिशा में कदम बढ़ाना ही होगा. यह बात घोड़ों को तेज गति से दौड़ाना या अधिक तेज गति से दौड़ने के लिए उन्हें बेहतर भोजन परोसने की नहीं है, बल्कि यह घोड़ागाड़ी को एक तेज वाहन के रूप में बदलने का मामला है.

इन्हें भी जानें

कई कार्यों में हो रहा अब

ड्रोन का इस्तेमाल

आॅ टोमेशन के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां तेजी से काम कर रही हैं. भारत में सरकार के कई मंत्रालय भी इसे अपनाने के लिए कमर कस चुके हैं. कुछ दुष्कर व जटिल कार्यों के दौरान आनेवाली बाधाओं को दूर करने और उनमें लगनेवाले समय की बचत के लिए आॅटोमेशन की मदद जरूरी समझी जा रही है. इनमें सबसे बड़ा महकमा रेल है, जिसने देशभर में फैले रेलवे पटरियों की मैपिंग के लिए ड्रोन और जीयोस्पेशियल आधारित सेटेलाइट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू किया है. ऐसी ही योजना भारतीय राजमार्गों के रखरखाव से लेकर बड़े स्तर पर होने वाले निर्माण कार्यों के लिए बनायी गयी है. ऑयल और गैस के क्षेत्र में भी आॅटोमेशन के लिए ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है. सर्विलांस और देश की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा की बात हो या फिर रीयल इस्टेट, कृषि के क्षेत्र में फसलों के उत्पादन के आकलन, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के दौरान मैपिंग का कार्य हो, इन सबके लिए संबंधित केंद्रीय मंत्रालय ड्रोन को आॅटोमेशन की योजना में शामिल कर चुके हैं.

खेती में भी बढ़ रहा आॅटोमेशन

खेती सेक्टर में व्यापक पैमाने पर मवेशियों की देखभाल करने और दूध निकालने के लिए इंटेलिजेंट आॅटोमेशन बेहद उपयोगी साबित हुआ है. इसकी मदद से जहां डेयरी फार्म में एक साथ मवेशियों के झुंड को खाना खिलाया जा सकता है, वहीं कम-से-कम मानव श्रम के जरिये इन मवेशियों से दूध निकाला जा सकता है. डेयरी के लिए बनाये गये खास प्रकार के रोबोट विंच के जरिये यह कार्य मुमकिन होता है. ऐसी 10 मशीनें करीब 250 मवेशियों का दूध निकालने में सक्षम हैं.

भ्रष्टाचार पर कस रहा शिकंजा

पेपरलेस टिकटिंग, ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीन से लेकर ऑनलाइन कामकाज आॅटोमेशन के कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे आये दिन सामान्य लोगों का वास्ता पड़ता है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की मानें तो इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना सरल हो गया है. आयकर विभाग में किये गये आॅटोमेशन से आयकर रिटर्न भरना आसान हो गया है, तो अपनी रकम वापस पाने के लिए आयकर निरीक्षक के पास जाने की जरूरत नहीं होती है.

दिल्ली मेट्रो बड़ा उदाहरण

आॅटोमेशन की सुविधाओं से लैस दिल्ली मेट्रो प्रत्येक यात्री की हरकतों पर पैनी निगाह रखता है. मेट्रो में बिना टिकट यात्रा करना आसान नहीं है. भारत में पहली बार ड्राइवर के बगैर मेट्रो का ट्रायल हो चुका है. उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली मेट्रो के कुछ नये खंडों का काम इस वर्ष के आखिर में पूरा होगा, जिसमें पूरी तरह से आॅटोमेशन मेट्रो ट्रेन चलायी जा सकती है.

सेल्फ सर्विस पेट्रोल पंप

इंडियन आॅयल काॅरपोरेशन ने भी हेराफेरी रोकने के उपायों के तहत दिल्ली में सेल्फ सर्विस पेट्रोल पंप खोला है, जिसमें उपभोक्ता अपने वाहन में खुद तेल भर सकते हैं. इसके लिए उन्हें पहले से लोडेड ऑटोमेशन टैग या मैनुअल ऑप्शन के जरिये वाहन में तेल भरने का विकल्प दिया जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें