मुंबई: दूसरे कार्यकाल को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन ने शनिवार को अचानक अपने दूसरे कार्यकाल से इनकार किया और पठन-पाठन के क्षेत्र में लौटने का एलान किया. रिजर्व बैंक कर्मचारियों को जारी संदेश में उन्होंने कहा कि फैसला सोच-विचार कर व सरकार के साथ परामर्श के बाद लिया है.
उन्होंने कहा, ‘मैं शिक्षक हूं , मैंने हमेशा साफ किया है कि मेरा आखिरी ठिकाना विचारों की दुनिया है. मेरा तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर, 2016 खत्म होने वाला है व शिकागो विश्वविद्यालय से छुट्टी का भी.’ विश्वास जताया कि उनके उत्तराधिकारी रिजर्व बैंक को नयी ऊंचाई पर ले जायेंगे. इधर, राजन के इस फैसले पर उद्योग जगत ने निराशा जतायी है. सरकार ने उनके ‘अच्छे काम’ की प्रशंसा की और कहा कि उनके उत्तराधिकारी की घोषणा जल्द की जायेगी. 2013 में रिजर्व बैंक के 23 वें गवर्नर के तौर पर पद संभालने वाले राजन पहले गवर्नर होंगे, जिनका कार्यकाल पांच साल से कम का होगा.
वैसे इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर थीं कि राजन को दूसरा कार्यकाल मिलेगा या नहीं. खासतौर से तब जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाल ही में उन पर उनकी नीतियों को लेकर लगातार हमले किये. राजन ने विभिन्न मुद्दों पर मुखर होकर अपनी राय रखी. चाहे यह सहिष्णुता पर छिड़ी बहस हो या फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में उनकी ‘अंधों में काना राजा’ वाली टिप्पणी हो. राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं.
मुश्किल दौर से निकल गया देश
राजन ने कहा कि 2013 में मुश्किल परिस्थितियों में मैंने गवर्नर का पद संभाला, तब देश पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि के दौर में था, मुद्रास्फीति काफी ऊंची थी और रुपये पर अतिशय दबाव था. पर, देश अब कमजोर स्थिति में नहीं है. आज भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही अर्थव्यवस्था है.
अफसोस भी: दो काम पूरा नहीं हो पाया, जो जारी है
अपने सहयोगियों को लिखे पत्र में राजन ने कहा कि जरूरत पड़ने पर देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध होंगे. संतोष जताया कि पहले पहले दिन जो काम शुरू किया था, वह पूरा हो गया, लेकिन दो प्रमुख मामलों- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और बैंक खातों को साफ सुथरा बनाने – पर काम पूरा होना बाकी है.
फैसले की वजह!
असहिष्णुता पर बयान से सत्ता पक्ष नाराज
वित्त मंत्रालय के अफसरों संग नीतिगत मतभेद
कुछ मसलों पर सरकार से भिन्न राय
गवर्नर की रेस में अब कौन
अरुंधति भट्टाचार्य
अभी : एसबीआइ की चेयरपर्सन
अरविंद सुब्रमण्यम
अभी : मुख्य आिर्थक सलाहकार
भारत की विश्वसनीयता बढ़ायी : उद्योगपति
देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने कहा कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला देश का नुकसान है. क्योंकि उन्होंने आर्थिक स्थिरता लायी. वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता बढ़ायी. आनंद महिंद्रा, दीपक पारेख, एनआर नारायण मूर्ति, किरण मजूमदार-शॉ, मोहन दास पै के नेतृत्व में भारतीय उद्योग को उम्मीद थी कि राजन के उत्तराधिकारी भी उनके अच्छे काम को जारी रखेंगे. नारायण मूर्ति ने कहा कि वह इस घटनाक्रम से दुखी हैं. साथ ही कहा कि राजन के साथ अपेक्षाकृत और गरिमा के साथ व्यवहार होना चाहिए था. उद्योग मंडल सीआइआइ और फिक्की ने टिप्पणी से इनकार किया.
चर्चा में : ब्रेक्जिट, ग्रेक्जिट व रेक्जिट
चिंता व्यक्त की जा रही थी कि रिजर्व बैंक गवर्नर पद से राजन के हटने का देश के वित्तीय बाजारों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इन दिनों ब्रेक्जिट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने), ग्रेक्जिट (यूनान के यूरोपीय संघ से बाहर होने) की तर्ज पर रेक्जिट (राजन के आरबीआइ छोड़ने) की पदावलि चर्चित हो गयी थी. गवर्नर ने अपने पत्र में इसका विशेष तौर पर कोई जिक्र तो नहीं किया, लेकिन कहा कि रिजर्व बैंक ब्रेक्जिट जैसे बाजार में उतार-चढ़ाव लाने वाले खतरों से पार पा लेगा.
उत्तराधिकारी की घोषणा जल्द
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार राजन द्वारा किये गये ‘अच्छे काम’ की प्रशंसा करती है और उनके उत्तराधिकारी पर फैसला जल्द किया जायेगा. हम राजन के फैसले का सम्मान करते हैं.
मालूम था कि मौका नहीं मिलेगा
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला सही है, क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि उन्हें एक और मौका नहीं मिलेगा. सही फैसला लिया.