मोबाइल से ज्यादा होंगे आइओटी डिवाइसेज!
दुनियाभर में स्मार्टफोन की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उतनी ही तेजी से बढ़ रही है उसके जरिये इंटरनेट इस्तेमाल करनेवालों की संख्या. हाल ही में जारी इरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 तक दुनिया की आबादी के मुकाबले मोबाइल सब्सक्रिप्शन की संख्या ज्यादा हो जायेगी, जो इसकी बढ़ती उपयाेगिता को दर्शाता है. साथ ही, ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आइओटी) के प्रसार को देखते हुए अनुमान है कि 2018 तक आइओटी डिवाइसेज की संख्या मोबाइल से ज्यादा हो जायेगी.
स्मार्ट बिल्डिंग्स, ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक्स, फ्लीट मैनेजमेंट, स्मार्ट मीटर्स और एग्रीकल्चर सेक्टर में आइओटी का कारगर इस्तेमाल मुमकिन होगा. किस तरह से बदल रहा है स्मार्टफोन, इंटरनेट और आइओटी का इस्तेमाल और निकट भविष्य में इसमें किस तरह का बदलाव है संभावित, बता रहा है यह आलेख…
दुनियाभर में स्मार्टफोन इस्तेमाल करनेवालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2020 तक दुनिया में प्रत्येक 10 में से सात लोगों के पास स्मार्टफोन मौजूद होगा. उस समय तक दुनिया में छह वर्ष से ज्यादा की उम्र के करीब 90 फीसदी लोगों के हाथ में स्मार्टफोन पहुंच जायेगा. ‘इरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट’ के मुताबिक, 2020 तक सक्रिय स्मार्टफोन की संख्या 6.1 अरब तक पहुंच जायेगी. इनमें से 80 फीसदी नये स्मार्टफोन एशिया प्रशांत क्षेत्र, मध्य-पूर्व और अफ्रीका के विकासशील देशों में होंगे.
वर्ष 2014 में दुनिया में कुल सक्रिय मोबाइल फोन्स की संख्या 7.1 अरब थी, जिसमें से 2.6 अरब स्मार्टफोन थे. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले पांच सालों में कुल सक्रिय मोबाइल फोन्स की संख्या 9.2 अरब तक पहुंच जायेगी. इतना ही नहीं, उस समय तक 5जी नेटवर्क का अनुमान भी जताया गया है, जो 4जी के मुकाबले कई गुना ज्यादा तेज होगा.
मौजूदा समय में दुनिया के करीब 4.9 अरब लोग 7.2 अरब मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि विकासशील देशों में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल करनेवाले ज्यादातर लोग ब्रॉडबैंड की सीमित उपलब्धता के कारण इंटरनेट का प्रयोग अपने स्मार्टफोन्स के जरिये करेंगे. दुनियाभर में मोबाइल डाटा नेटवर्क और ट्रैफिक समेत इस संबंध में गहन अध्ययन के बाद तैयार की गयी इरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट को इस लिहाज से दुनियाभर में भरोसेमंद समझा जाता है.
आइओटी से जुड़े डिवाइस 16 अरब
इस रिपोर्ट का आकलन है कि वर्ष 2018 तक दुनिया में इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी आइओटी कनेक्टेड डिवाइस की संख्या सामान्य माेबाइल फोन्स की संख्या से ज्यादा हो जायेगी. वर्ष 2015 से 2021 के बीच इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े डिवाइसों की संख्या में अनुमानित रूप से सालाना 23 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो सकती है. यह भी अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2021 तक दुनियाभर में कनेक्टेड डिवाइसों की संख्या 28 अरब तक पहुंच जायेगी, जिनमें से करीब 16 अरब डिवाइस आइओटी से कनेक्टेड होंगे.
इसमें पश्चिमी यूरोप सबसे आगे होगा. यहां के बाजार में वर्ष 2021 तक आइओटी डिवाइस में 400 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है. चूंकि इस क्षेत्र में कनेक्टेड कारों की मांग बढ़ रही है, लिहाजा इसके संचालन के लिए यहां एक रेगुलेटरी की जरूरत होगी, जो सैद्धांतिक रूप से इसके लिए दिशा-निर्देश तय करेगी. इंडस्ट्री का इसके प्रति ज्यादा फोकस होना और सेलुलर आइओटी टेक्नोलॉजीज के 3जीपीपी स्टैंडर्डाइजेशन को अपनाना इसका सबसे बड़ा कारण बताया गया है.
इनमें से ज्यादातर आइओटी हाइ कनेक्शन वॉल्युम, कम लागत, कम ऊर्जा खपत की जरूरतों वाले होंगे और बहुत कम डाटा ट्रैफिक वॉल्युम्स की खासियत वाले हाेंगे. उदाहरण के तौर पर स्मार्ट बिल्डिंग्स, ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक्स, फ्लीट मैनेजमेंट, स्मार्ट मीटर्स और एग्रीकल्चर सेक्टर में इनका कारगर इस्तेमाल मुमकिन होगा. कैपिलेरी नेटवर्क्स के सहारे ज्यादा से ज्यादा चीजों को इससे जोड़ा जा सकता है. मौजूदा समय में सेलुलर आइओटी मॉड्यूल्स में से करीब 70 फीसदी जीएसएम आधारित हैं. नेटवर्क मैकेनिजम पर कार्य जारी है और कम कीमत पर नेटवर्क कवरेज का दायरा बढ़ाया जा रहा है.
इससे मौजूदा नेटवर्क के सहारे ज्यादा प्रकार के डिवाइसेज को सपोर्ट दिया जा सकेगा. इरिक्सन की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिसर रीमा कुरेशी का कहना है, ‘संबंधित डिवाइसों की कीमतों में कमी आने और इनोवेटिव युक्तियों के उभार के कारण आइओटी तेजी से बढ़ रहा है.
वर्ष 2020 से दुनिया के बाजारों में 5जी के कारोबारी तौर पर फैलाव होने के कारण इस नेटवर्क के माध्यम से बाजार को बेशुमार क्षमता मुहैया करायी जा सकेगी, लिहाजा आइओटी का व्यापक विस्तार होगा. साथ ही क्षमतावर्धन के कारण मौजूदा समय के मुकाबले बहुत ज्यादा डिवाइसों को इससे जोड़े की जाने की संभावना है.’
डाटा डाउनलिंक स्पीड एक जीबीपीएस
वर्ष 2016 में इस मायने में एक नया माइलस्टोन कायम होगा, जब कॉमर्शियल एलटीइ (लॉन्ग टर्म इवोलुशन) नेटवर्क्स के सहारे एक जीबीपीएस की स्पीड से डाटा डाउनलिंक किया जा सकेगा.
उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष के दूसरे उत्तरार्ध में जापान, अमेरिका, दक्षिण काेरिया और चीन के बाजार में एक जीबीपीएस को सपोर्ट करनेवाले डिवाइस देखने के मिल सकते हैं. इसके बाद दुनिया के अन्य देशों में भी तेजी से इसका विस्तार होने की उम्मीद है. इसका मतबल होगा कि इस तकनीक की बदौलत मोबाइल यूजर्स मौजूदा समय के मुकाबले बेहद तेजी से कंटेंट तक पहुंच कायम कर सकेंगे.
ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन में ग्रोथ
वर्ष 2015 से 2021 के बीच मध्य एशिया और अफ्रीकी देशों में मोबाइल ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन की संख्या चार गुना तक बढ़ जायेगी. भारत में यह सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ेगी और 2021 तक यहां मोबाइल डाटा ट्रैफिक में 15 गुना तक की बढ़ोतरी होगी. उत्तरी अमेरिका में मोबाइल ट्रैफिक में 50 फीसदी
तक की वृद्धि होगी.
मोबाइल वीडियो ट्रैफिक में होगी व्यापक वृद्धि
मोबाइल वीडियो ट्रैफिक में वर्ष 2021 तक सालाना करीब 55 फीसदी की दर से बढ़ोतरी जारी रहने का अनुमान लगाया गया है. दूसरी ओर सोशल नेटवर्किंग के दायरे में भी वार्षिक तौर पर करीब 41 फीसदी की दर से वृद्धि जारी रहेगी. हालांकि, इस सेगमेंट में जहां वीडियो केटेगरी में ज्यादा बढ़ोतरी होगी, वहां अन्य चीजों में बढ़ोतरी कम होगी. यह भी उम्मीद जतायी गयी है कि नये एप्लीकेशंस के उभार की दशा में ट्रैफिक के विविध प्रकारों के कारण संबंधित वॉम्युम्स में बदलाव भी आ सकता है.
ऑनलाइन वीडियाे ट्रैफिक शेयर स्मार्टफोन के मुकाबले टैबलेट के माध्यम से ज्यादा किया जायेगा. हालांकि, छोटे वीडियो कंटेंट देखने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल ज्यादा होगा, लेकिन बड़े आकार वाले वीडियो कंटेंट देखने के लिए टैबलेट का इस्तेमाल बढ़ेगा. मौजूदा समय में ज्यादातर मोबाइल नेटवर्क्स पर वीडियाे ट्रैफिक के मामले में यूट्यूब का प्रभुत्व अब भी कायम है. सभी वीडियो ट्रैफिक का करीब 50 से 70 फीसदी तक इसी के जरिये इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, नेटफ्लिक्स बाजार में लॉन्च हो चुका है और इसके माध्यम से होनेवाले वीडियाे ट्रैफिक के शेयर में 10 से 20 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है.
किशोरों द्वारा स्मार्टफोन पर वीडियो देखने की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी
वर्ष 2021 के संदर्भ में जो अनुमान लगाये गये हैं, उसके लिए वर्ष 2014-15 के दौरान स्मार्टफोन की संख्या में हुई बढ़ोतरी और उनके इस्तेमाल की प्रवृत्ति का व्यापक अध्ययन किया गया है.
इस अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2014-15 में महज 15 महीनों के दौरान स्मार्टफोन वीडियो के लिए किये गये सेलुलर डाटा के इस्तेमाल में 127 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2011 से 2015 के बीच चार वर्षों के दौरान किशाेरों द्वारा टीवी स्क्रीन के जरिये टीवी/ वीडियो देखने के समय में करीब 50 फीसदी की गिरावट आयी है. इसके विपरीत स्मार्टफोन पर टीवी/ वीडियो देखने की प्रवृत्ति में करीब 85 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है.
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मोबाइल इस्तेमालकर्ताओं की आनेवाली पीढ़ी स्मार्टफोन वीडियो स्ट्रीमिंग (इसमें वाइ-फाइ और सेलुलर दोनों ही शामिल होंगे) के लिए बड़ी तादाद में डाटा खपत करनेवाले ग्राहक के रूप में उभर कर सामने आयेगी और सेलुलर ऑपरेटरों के लिए इनकी मॉनीटरिंग करने के लिहाज से यह महत्वपूर्ण होगा.
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इंटरनेट ऑफ थिंग्स
मौजूदा समय में चर्चित ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ शब्द का इस्तेमाल वर्ष 1999 में केविन एश्टन ने पहली बार किया था. इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी आइओटी इंटरनेट की दुनिया में एक ऐसा विकास है, जिसके जरिये हमारे जीवन शैली में तेजी से बदलाव आ रहा है.
इससे हमारे अनेक काम आसान हो रहे हैं और न केवल मैनपावर की बचत होगी, बल्कि हमारा समय भी बच रहा है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स को इंटरनेट ऑफ ऑब्जेक्ट्स भी कहा जाता है या इसे इंटरनेट ऑफ एवरीथिंग और मशीन टू मशीन एरा भी कहा जा सकता है. यह विविध डिवाइसेज के बीच वायरलेस नेटवर्क के जरिये जुड़ा होता है और वह डिवाइस स्वयं ही कार्य करता है.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक ग्लोबल नेटवर्क संरचना है, जिसमें लोग क्लाउड कंप्यूटिंग, डाटा कैप्चर व नेटवर्क कम्युनिकेशन के जरिये वस्तुओं से जुड़े होते हैं. इस मिथ को दूर करने में यह बड़ी भूमिका निभा रहा है कि इंटरनेट सिर्फ लोगों के बीच ही कम्युनिकेशन आसान बनाता है. अब अप्लायंस और अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी आपस में वायरलेस नेटवर्क के जरिये जुड़ रहे हैं और बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं.
वर्ष 2016 की पहली तिमाही में नये मोबाइल ग्राहकों की संख्या
देश नये मोबाइल ग्राहकों की संख्या
भारत 2.1 करोड़
म्यांमार 50 लाख
इंडोनेशिया 50 लाख
अमेरिका 30 लाख
पाकिस्तान 30 लाख
क्षेत्र
अफ्रीका 1.6 करोड़
उत्तरी अमेरिका 40 लाख
लैटिन अमेरिका 50 लाख
मध्य पूर्व 40 लाख
पश्चिमी यूरोप 10 लाख
कुल 6.3 करोड़
इस संबंध में एक उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि अनेक देशों में मोबाइल सब्सक्रिप्शन की संख्या वहां की आबादी से ज्यादा है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि इसमें निष्क्रिय हो चुके सब्सक्रिप्शन भी शामिल हैं. साथ ही बहुत से लोग अलग-अलग किस्म की सुविधाएं हासिल करने के लिए अपने पास एक से ज्यादा सब्सक्रिप्शन रखते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि कुल सब्सक्रिप्शन के मुकाबले वास्तविक सब्सक्राइबर्स की संख्या कम होती है. दुनियाभर में फिलहाल 7.4 अरब सब्सक्रिप्शन के मुकाबले मूल सब्सक्राइबर्स की संख्या महज पांच अरब है. रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 तक दुनियाभर में मोबाइल सब्सक्रिप्शन की संख्या नौ अरब तक पहुंच जायेगी, जबकि मोबाइल ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन की संख्या 7.7 अरब और स्मार्टफोन सब्सक्रिप्शन की संख्या 6.3 अरब तक पहुंच जायेगी.
डाटा ट्रैफिक में जारी रहेगा निर्बाध विस्तार
मोबाइल डाटा ट्रैफिक में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2015 की पहली तिमाही से लेकर वर्ष 2016 की पहली तिमाही के बीच ग्लोबल मोबाइल डाटा ट्रैफिक में प्रत्येक तिमाही 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी रही.
वार्षिक तौर पर इसमें 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान स्मार्टफोन ग्राहकों की तेजी से बढ़ी संख्या और प्रति ग्राहक डाटा खपत में हो रही बढ़ोतरी इसका सबसे बड़ा कारण रहा है. हालांकि, दुनिया के विविध क्षेत्रों और ऑपरेटर्स के बीच इस ट्रैफिक स्तर में विविधता पायी गयी है. मौजूदा ट्रेंड को देखते हुए इस मोबिलिटी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2021 के आखिर तक दुनियाभर में होनेवाले मोबाइल डाटा ट्रैफिक का करीब 90 फीसदी स्मार्टफोन के माध्यम से खपत हो सकता है.
(स्रोत : इरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट 2016)
प्रस्तुति – कन्हैया झा