पूरी तरह बदल चुके इस दौर में भी प्रभात खबर की मान्यता है कि अखबार पाठकों की धरोहर है. पिछले 10 वर्षों के दौरान पत्रकारिता की दुनिया बिल्कुल बदल गयी है. बदले सामाजिक मूल्यों, आर्थिक मान्यताओं, राजनीतिक रूझान और तकनीकी क्रांति के कारण, जो शाश्वत मर्म है, सच है, उस पर अनास्था, अनीति और अकर्म के बादल छा गये हैं. पर छपे शब्दों के प्रति लोक आस्था है. हालांकि उसका भी निरंतर प्रयास हो रहा है.
फिर भी प्रेस के प्रति अगर कहीं लौ है, तो उसे तेज करने की जरूरत है. और यह लौ है. इसी कारण बीएन गाडगिल को प्रेस के संबंध में पेश किया गया निजी बिल, वापस लेना पड़ा. राजीव गांधी या जगन्नाथ मिश्र भी अपने इरादे में कामयाब नहीं हुए. श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी प्रेस सेंसरशिप लगा कर परिणाम भुगता. आखिर इस निहत्थे प्रेस के पीछे कौन सी ताकत है कि ताकतवार लोग भी इसे कमजोर न कर सके.
वह ताकत है, विश्वास, आस्था और प्रेस की मर्यादा के कारण. जब राजनेता-अधिकारी यानी शासक वर्ग की दृष्टि स्वहित के प्रति प्रतिबद्ध हो, तब अखबारों की पवित्रता, निष्पक्षता और लोक आस्था बनाये रखना कितना मुश्किल है, बाहर की दुनिया को यह नहीं मालूम. अखबारों के अंदर बेहतर सेवा शर्तें रखना, साथ-साथ बिहार जैसे निरंतर पिछ़ड रहे राज्य से पाठकों के प्रति प्रतिबद्ध अखबार निकालना निरंतर कठिन हो रहा है.
राज्य सरकार के विज्ञापन छापें, पता नहीं कितने वर्षों बाद भुगतान हो! राज्य स्तर पर आर्थिक विकास ठप है, इस कारण निजी क्षेत्र के विज्ञापन नहीं हैं. विज्ञापन नहीं हैं, इस कारण अखबारों की आय घट रही है. इस तरह लोक आस्था के प्रति प्रतिबद्ध अखबार निकालना और सेवा शर्तें भी ठीक रखना बिहार में तलवार की धार पर चलना है.
इन गंभीर मुश्किलों के बावजूद प्रभात खबर की आरंभ से कोशिश है कि वह लोक आस्था-लोक मुददों के प्रति समर्पित अखबार हो. संभव है इस क्रम में गलतियां हुई हों या हो रही हों, पर यह पत्र उन गलतियों को स्वीकारने का नैतिक साहस रखता है. न सिर्फ स्वीकारने, बल्कि परिमार्जित करने का भी. लेकिन यह काम तभी हो सकता है, जब पाठकों का सहयोग हो. गांधी जी अखबारों के लिए कहा करते थे कि अखबार खुद को पाठकों की धरोहर समझें और पाठक अखबारों की विश्वसनीयता की चौकीदारी करें.
अपनी चौकीदारी का हम आपको न्योता देते हैं. पिछले दिनों रामगढ़-रांची वगैरह से कुछ पाठकों के पत्र, फोन और सूचनाएं मिली हैं. अपनी शिकायत दर्ज करातीं.
यह शिकायत दो तरह की हैं :-
1. अमुक जगह रांची से बाहर आपके पत्रकार शराब पी कर उधम कर रहे थे.
2. फलां व्यक्ति आपके अखबार का नाम लेकर ब्लैकमेल कर रहा है.
ऐसी खबरों का हम स्वागत करते हैं. साथ ही एक आग्रह भी. कोशिश करें कि किसी प्रतिनिधि या प्रभात खबर से जुड़े होने का दावा कर गलत करनेवाले व्यक्ति के खिलाफ प्रामाणिक जानकारी दें. अपना नाम-पता दें. अगर आप पाठक इतनी कोशिश नहीं करेंगे, तो अखबारों पर पाठकों का अंकुश नहीं रह पायेगा. प्रभात खबर आपकी गोपनीयता बनाये रखने में मदद करेगा. प्रभात खबर समाज के गलत कार्यों पर अंगुली उठाता है, तो उसका नैतिक फर्ज है कि उसके नाम को ले कर गलत काम करनेवालों की भी खबर छापे. पर तथ्यात्मक. रांची के बाहर से जिस फ्रीलांसर के पार्टी में शराब पी कर उधम मचाने का आरोप था.
जांच के बाद उनकी खबरें छापना हमने बंद कर दी हैं और उनका यहां प्रवेश भी बंद है. आपकी जानकारी के लिए. अखबारों में दो स्रोतों से खबरें आती हैं. पहला, फ्रीलांसर पत्रकारों से जो कई अखबारों के लिए लिखते हैं. वे किसी अखबार के स्थायी वेतनभोगी नहीं होते. दूसरा, निजी संवाददाताओं से, जो अखबार में काम करते हैं. प्रभात खबर ने पहली बार यह कोशिश की है कि वह रामगढ, हजारीबाग, पलामू जैसे इलाकों में भी अपना निजी संवाददता रखे. सुदूर ग्रामीण इलाकों में अगर कुछ फ्रीलांसर कार्यरत हैं, तो उनके पास प्रभात खबर द्वारा दिया गया अधिकार पत्र है. अन्यथा प्रभात खबर में कार्य करनेवालों को परिचय पत्र दिये गये हैं.
1. कोई खबर देने के पूर्व जांच करें, परिचय पत्र देखें कि वह व्यक्ति प्रभात खबर का है या नहीं. प्रत्येक वर्ष अखबार द्वारा दिये गये परिचय पत्र का नवीनीकरण होता है.
2. प्रभात खबर से संबंध रखनेवाला कोई व्यक्ति अगर गलत आचरण करता है, तो तत्काल उसकी लिखित शिकायत अखबार में करें.
3. किसी समाचार में अगर आपको लगता है कि आपका पक्ष छूट गया है या गलत तथ्य दिये गये हैं, तो लिख कर अपनी बात आप संपादक को दें.
इन आग्रहों के अतिरिक्त हम प्रभात खबर के लिए रांची शहर में रिपोर्टिंग करनेवालों का नाम दे रहे हैं, ताकि प्रभात खबर के नाम पर आप न दूसरों को खबर दें, न प्रभात खबर का गलत नाम लेकर परेशान करनेवालों को तरजीह. फिर भी जो परेशान करे उसकी पुख्ता सूचना दें, प्रभात खबर आपके साथ होगा. मुख्य संवाददाता: मधुकर, संवाददाता: महेंद्र, राजीव कुकरेजा, शफीक अंसारी, प्रह्लाद शर्मा, अनिल श्रीवास्तव. कभी कभार संपादकीय विभाग से भी कुछ लोग खबर एकत्र करने जाते हैं, मसलन यशोनाथ झा, सुधाकर, शशि. ऐसे लोगों के पास परिचय पत्र है, वह देख कर खबरें दें. बाहर में हमारे अपने संवाददाता हैं, रामग़ढ : राकेश जावा, हजारीबाग : विजय बिहारी, डालटनगंज : प्रकाश सनोई (अधिकृत अंशकालिक संवाददाता: गोकुल बसंत), चाईबासा (अधिकृत : रामकुमार).
प्रभात खबर को मालूम है कि अखबारों की विश्वसनीयता अगर आज भी है, तो इस कारण कि प्रेस राजनेताओं-नौकरशाहों या न्याय के अन्य केंद्रों की तरह असंवेदनशील या मोटी चमड़ी वाला नहीं हुआ है. आपकी एक-एक तथ्यात्मक शिकायत पर हम गौर करेंगे. कार्रवाई और अपनी शैली, तौर-तरीके में आवश्यक परिमार्जन भी.
प्रधान संपादक
25.07.94