नेशनल कंटेंट सेल
मध्य प्रदेश का खरगोन जिला खुदकुशी जिला बन गया है़ पिछले एक साल में इस जिले में 381 लोगों ने खुदकुशी कर ली़ लेकिन, इस जिले के एक गांव बाड़ी पर तो जैसे कोई आफत आया हुआ है. अकेले इस गांव में पिछले तीन माह में 80 लोगों ने खुदकुशी कर ली है़ गांव में मातम पसरा है. शायद ही कोई घर हो, जिसका कोई न कोई सदस्य खुदकुशी कर लिया हो.
बाड़ी गांव के सरपंच हैं राजेंद्र सिसोदिया़ इससे पहले उनके रिश्तेदार जीवन सरपंच थे़ जीवन ने अपने घर में लगे पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद राजेंद्र को सरपंच बनाया गया़ जीवन की मां और भाई ने भी खुदकुशी की थी़ मध्य प्रदेश का खरगोन जिला देश के 250 पिछड़े जिलों में से एक है़ जिले के बाड़ी गांव की आबादी लगभग 2500 है़ एक अंगरेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, पिछले दो दशक में इस गांव में 350 लोगों ने आत्महत्या की है़ जिले के एसपी बताते हैं कि इस साल के शुरू के तीन महीनों में 80 लोगों ने खुदकुशी की है़ .
खुदकुशी के ज्यादातर मामलों में सही-सही वजह का पता नहीं है, पर इलाके में खेती की स्थिति कमजोर होना इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है़ मनोचिकित्सक डॉ श्रीकांत रेड्डी ने एक अंगरेजी अखबार से बातचीत में बताया कि खुदकुशी की घटनाएं अवसाद और ग्रामीणों के एक अजीब पागलपन की वजह से बढ़ रही हैं. इसके पीछे एक कारण खेती में कीटनाशकों का प्रयोग भी हो सकता है. लेकिन, गांव सरपंच राजेंद्र सिसोदिया बताते हैं कि गांव किसी भूत की छाया में है, इसीलिए लोग आत्महत्या कर रहे है़ हालांकि गांव के ही कई लोग सरपंच के इस तर्क से सहमत नहीं है़ं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि गंभीर वित्तीय संकट, लगातार अवसाद और घोर अंधविश्वास में घिर कर लोग आत्महत्या कर रहे हैं. लगातार हो रही इन मौतों पर खरगोन के कलेक्टर अशोक वर्मा ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है.
इस गांव की महिलाओं की वजह से एक उम्मीद की किरण दिखने लगी है. कुछ महिलाओं ने अपने पतियों की काउंसिलिंग करवायी है. ऐसी ही महिलाओं की बदौलत इस गांव में शराब को बैन कर दिया गया है. हालांकि, गांव की ही एक महिला इसे बहुत प्रभावी नहीं मानती हैं. वह कहती हैं कि अगर गांव में शराब नहीं मिलेगी, तो हमारे पति दूसरे गांव से पीकर आते हैं. गांव के पुलिस चौकी के इंचार्ज की मानें तो आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह अशिक्षा है. वह बताते हैं कि गांव वालों को जब चोट लगती है , तो वह अस्पताल नहीं जाते हैं, नीम-हकीम के पास जाते हैं. डॉक्टर के पास नहीं जाने के पीछे समाज का डर है.
देश में तीन माह में 116 किसानों ने जान दी
लोकसभा में दी गयी जानकारी के मुताबिक, इस साल के शुरुआती तीन महीनों में 116 किसानों ने खुदकुशी की. महाराष्ट्र पहले नंबर पर है, जहां 29 फरवरी 2016 तक 57 किसानों ने आत्महत्या की थी, जबकि दूसरे नंबर पर पंजाब है जहां 11 मार्च 2016 तक 56 किसान अपनी जान दे चुके थे़ 2014 में देश भर में कुल 2115 किसानों ने खुदकुशी की थी और इनमें से 1163 किसानों ने कर्ज़ की वजह से आत्महत्या की थी. 2015 में हर तीसरे घंटे में एक किसान ने अपनी जान दी थी़